देहरादून/रुद्रप्रयाग:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं. इस बीच सरकार और संगठन प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में बवाल शुरू कर दिया है. तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में बीजेपी नेताओं की एंट्री पर बैन लगा दिया है. ऐसे में पीएम मोदी का केदारनाथ का दौरा कैसे होगा इसको लेकर भी सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं.
तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर उन्होंने उच्च स्तरीय समिति गठित की है. समिति की अंतिम रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. रिपोर्ट आते ही सरकार तीर्थ पुरोहितों का समाधान जरूर निकालेगी.
बता दें कि आने वाले 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ दौरे पर आ रहे हैं. ऐसे में पीएम के दौरे की तैयारियों को लेकर तमाम बीजेपी नेता केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं. इस बीच तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज ने बीजेपी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने केदारनाथ धाम में बीजेपी नेताओं की एंट्री पर बैन लगा दिया है.
पीएम मोदी के दौरे पर ग्रहण
दरअसल, सोमवार (1 नवंबर) सुबह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बिना केदारनाथ धाम पहुंचे ही वापस लौटना पड़ा, जबकि उत्तराखंड के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का तीर्थ पुरोहित समाज ने घेराव कर लिया, जिसके बाद दोनों नेताओं ने तीर्थ पुरोहितों से बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन चिंता इस बात की है कि अगर तीर्थ पुरोहित नहीं मानते हैं, तो प्रधानमंत्री के दौरे पर भी ग्रहण लग सकता है.
तीर्थ पुरोहित समाज और पंडा समाज की नाराजगी
तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज लगातार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने उनको दो महीने का समय दिया था, लेकिन सरकार ने उनके साथ वादाखिलाफी की है. ऐसे में उन्होंने केदानाथ धाम में बीजेपी नेताओं की एंट्री पर बैन लगा दिया है.
देवस्थानम बोर्ड क्या है
उत्तराखंड सरकार ने साल 2019 में विश्व विख्यात चारधाम समेत प्रदेश के अन्य 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया था. देवस्थानम बोर्ड के गठन का नोटिफिकेशन जारी होते ही बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का अस्तित्व स्वतः समाप्त हो गया. क्योंकि, उत्तराखंड चारधाम यात्रा में साल 2020 तक संचालित परंपरा करीब 80 साल पुरानी थी.
सरकार का कहना है कि मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. सरकार का कहना है कि इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.