मोनिका और मोनिस की शादी टली देहरादून (उत्तराखंड):उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर जिस शादी की चर्चा बीते 7 दिनों से हो रही थी, आखिरकार उस शादी को स्थगित कर दिया गया है. शादी को स्थगित करने का कारण यह रहा कि बीजेपी नेता और पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम कह रहे हैं कि जनता सर्वोच्च है. अगर जनता को यह पसंद नहीं है तो शादी स्थगित कर दी गई है. माहौल अभी सही नहीं है. इसीलिए फिलहाल वह अपनी बेटी की शादी को स्थगित कर रहे हैं. आखिरकार क्या है पूरा माजरा चलिए हम आपको बताते हैं.
उत्तराखंड का पौड़ी है VVIP जिला: उत्तराखंड में एक जिला है पौड़ी गढ़वाल. वैसे तो पौड़ी गढ़वाल इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसी पौड़ी से देश में बड़े-बड़े पदों पर बैठे कई लोग पैदा हुए. यहां पर ही शिक्षा दीक्षा ग्रहण करके आज ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हुए हैं. उत्तराखंड में भी कई मुख्यमंत्रियों का गांव इसी क्षेत्र में है. इसी पौड़ी शहर से मौजूदा समय में नगर पालिका अध्यक्ष हैं यशपाल बेनाम. उनके नाम के पीछे भले ही बेनाम लगा हो लेकिन पौड़ी शहर में बच्चा बच्चा उनको जानता है. वह बीते तीन दफा से नगर पालिका अध्यक्ष बनते हुए आ रहे हैं. एक बार निर्दलीय विधायक भी रह चुके हैं.
मोनिका और मोनिस के विवाह के निमंत्रण पत्र बंट गए थे. यशपाल बेनाम की बेटी मोनिका की शादी मोनिस खान से होनी थी: आप उनके राजनीतिक अनुभव को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि यशपाल बेनाम लोकल बॉडी इलेक्शन में कितना चर्चित चेहरा होंगे. लेकिन जितनी चर्चा आज तक उनकी राजनीति को लेकर नहीं हुई. उतनी चर्चा बीते 7 दिनों से सोशल मीडिया पर हो रही है. दरअसल यशपाल बेनाम की एक बेटी है. बेटी का नाम है मोनिका. मोनिका लंबे समय से रुड़की के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी. मोनिका के साथ अमेठी के रहने वाले मोनिस खान भी पढ़ते थे. दोनों में दोस्ती में हुई और बात शादी तक आ गई. दोनों परिवार शादी के लिए राजी हो गए. यशपाल बेनाम और उनकी पत्नी उषा रावत ने अपनी बेटी की शादियों की तैयारियां शुरू कर दी.
25 मई से था यशपाल बेनाम की बेटी का शादी समारोह: अपने सगे संबंधियों को कार्ड देने शुरू किए. शादी की तारीख तय की गई 25, 26 और 27 मई. शादी के सभी कार्यक्रम पौड़ी के ही एक बैंक्वेट हॉल में रखे गए. लेकिन शायद उनको नहीं पता था कि शादी का कार्ड ही उनके लिए आफत बन जाएगा. किसी एक व्यक्ति ने शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. देखते ही देखते शादी के कार्ड पर बवाल होना शुरू हो गया. यशपाल बेनाम सोशल मीडिया पर शादी के कार्ड में उनका मोबाइल नंबर होने की वजह से ट्रोल होने लगे.
फोन कॉल के दबाव में आए यशपाल बेनाम!: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और देश के अन्य राज्यों से अनेक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों के फोन यशपाल बेनाम के फोन पर आने लगे. हालांकि यशपाल बेनाम शुरुआती दौर में सभी को जवाब देते रहे. अमूमन जवाब में यशपाल बेनाम यही कहते सुनाई दिए कि 21वीं सदी के बच्चे अपने फैसले लेने में खुद सक्षम हैं. 2 से 3 दिनों तक यशपाल बेनाम सोशल मीडिया और फोन कॉल्स पर लोगों को जवाब देते रहे. लेकिन 21 मई के दिन वह बैकफुट पर आते दिखाई दिए.
ट्रोल होते बेनाम ने टाली बेटी की शादी: लगातार धमकियों और कॉल्स की वजह से बेनाम के परिवार ने यह फैसला लिया कि फिलहाल इस शादी को स्थगित कर दिया जाए. लिहाजा यशपाल बेनाम ने अपनी तरफ से एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा अगर उनके इस फैसले से जनता खुश नहीं है और फिलहाल शादी के लायक माहौल नहीं है तो वह इस शादी को स्थगित कर रहे हैं. यशपाल बेनाम ने कहा कि दूल्हा पक्ष भी पौड़ी आएगा और वह ऐसे में नहीं चाहेंगे कि किसी तरह का कोई विवाद लड़के पक्ष के साथ हो. फिलहाल शादी के लायक सौहार्दपूर्ण माहौल नहीं है.
कई संगठनों से आए यशपाल बेनाम को फोन: यशपाल बेनाम ने एक टीवी इंटरव्यू में यह भी कहा कि उनके कुछ पदाधिकारियों ने भी उन को कॉल किया था. कुछ ने उन्हें अपना निजी मामला बताया तो कुछ ने उन्हें परिवार के सदस्य के नाते समझाया भी. इतना ही नहीं, राज्य के नेताओं ने भी इस बारे में उनसे कुछ नहीं कहा. लेकिन वह खुद ही परिवार की सहमति से यह फैसला ले रहे हैं कि फिलहाल हम इस शादी को स्थगित कर रहे हैं. क्योंकि जिस तरह की बातें हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए कहीं जा रही हैं, उसके बाद यह शादी फिलहाल करना संभव नहीं है.
साध्वी प्राची ने भी किया था शादी का विरोध: इतना ही नहीं संत समाज और साध्वी प्राची भी इस शादी का विरोध कर रही थीं. लगातार सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया देकर बेनाम और बीजेपी को ट्रोल कर रहे थे. बेनाम का बयान इस बात की तस्दीक करता है कि पार्टी और संगठन के उच्च नेताओं ने भी उनको इस बारे में जरूर कुछ समझाया या कहा है. यही कारण है कि जो यशपाल बेनाम 21 मई सुबह तक सबको जवाब दे रहे थे, शाम होते-होते वह यह कहने लगे कि जनता को अगर यह फैसला सही नहीं लग रहा है तो वह अपने फैसले को वापस लेंगे.
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क्या कहते हैं भागीरथ शर्मा: बॉडी इलेक्शन और उत्तराखंड की राजनीति को करीब से जानने वाले भागीरथ शर्मा कहते हैं कि बेनाम जिस तरह से पौड़ी में अपना नाम बनाने में कामयाब रहे हैं, उसके बाद हो सकता है कि उनके इस कदम से उनका राजनीतिक कैरियर दांव पर लग जाए. पौड़ी में बेनाम इसीलिए जीतते आए हैं, क्योंकि कहा जाता है कि वह लगभग 3000 मुस्लिमों और हिंदुओं को साधने में हमेशा कामयाब रहे हैं. बीजेपी उन्हें हमेशा से टिकट देती आई है, इसलिए भी उनकी जीत सुनिश्चित होती रही है. अब देखना होगा कि उनका राजनीतिक कैरियर किस ओर जाता है. हालांकि पौड़ी में इस तरह का कोई बवाल या चर्चा अधिक नहीं है. जो भी है वह सोशल मीडिया और हिंदू संगठनों के बीच है. इसलिए यह भविष्य तय करेगा कि यशपाल बेनाम का यह फैसला आगे उनके कैरियर में क्या रंग दिखाएगा.