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2032 ओलंपिक तक कुश्ती खेल को गोद लेगी योगी सरकार

कुश्ती खेल को लेकर योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार के फैसले के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार 2032 ओलंपिक तक कुश्ती खेल को गोद लेगी. भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा, यूपी सरकार 2032 ओलंपिक तक 170 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. सरकार ने ये फैसला पहलवानों के समर्थन और बुनियादी ढाचे को और मजबूत करने के लिए लिया है.

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Published : Aug 27, 2021, 3:59 PM IST

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सीएम योगी आदित्यनाथ

नई दिल्ली:भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह ने कहा, कुश्ती खेल को गोद लेने वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पहलवानों के समर्थन और बुनियादी ढांचों के लिए 2032 ओलंपिक तक 170 करोड़ रुपए का निवेश किए जाने की उम्मीद है.

डब्ल्यूएफआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा, उन्होंने ओडिशा सरकार के हॉकी खेल के समर्थन देने के कदम से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से अपने खेल के लिए इसी तरह की मदद की गुजारिश की.

सिंह ने कहा, ओडिशा छोटा राज्य है, फिर भी वह इतने शानदार तरीके से हॉकी का समर्थन कर रहा है तो हमने सोचा कि उत्तर प्रदेश कुश्ती का समर्थन क्यों नहीं कर सकता. जबकि यह इतना बड़ा राज्य है. हमने उनसे संपर्क किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे स्वीकार कर लिया.

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उन्होंने कहा, हमने अपने प्रस्ताव में 2024 खेलों तक प्रत्येक वर्ष समर्थन के लिए 10 करोड़ रुपए की मांग की (मतलब 30 करोड़ रुपए) और फिर 2028 के अगले ओलंपिक चक्र के लिए प्रत्येक वर्ष 15 करोड़ रुपए (60 करोड़ रुपए) की मदद के लिए कहा है और अंतिम चरण में 2032 के लिए प्रत्येक वर्ष 20 करोड़ रुपए (80 करोड़ रुपए) के लिये कहा.

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सिंह ने कहा, ऐसा करने से प्रयोजन सिर्फ देश के शीर्ष पहलवानों तक ही सीमित नहीं रहेगा. बल्कि कैडेट स्तर के पहलवानों को भी प्रायोजित किया जाएगा और हम राष्ट्रीय चैम्पियनों को भी पुरस्कार राशि दे सकेंगे.

डब्ल्यूएफआई ने 2018 में टाटा मोटर्स से भी भारतीय कुश्ती के मुख्य प्रायोजक के तौर पर भागीदारी की थी, जिससे उन्हें 12 करोड़ रुपये का वित्तीय सहयोग मिला था और महासंघ टोक्यो ओलंपिक तक पहलवानों को केंद्रीय अनुबंध दे सका था.

पता चला है कि शुक्रवार को नए करार के साथ यह भागीदारी फिर शुरू हो जाएगी.

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सिंह ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार की इस मदद से भारतीय कैडेट स्तर के पहलवानों को भी विदेशों में ट्रेनिंग दौरे मिल पाएंगे.

यह देखना होगा कि राज्य सरकार से इस करार के बाद डब्ल्यूएफआई निजी एनजीओ जैसे जेएसडब्ल्यू और ओजीक्यू को कुश्ती का समर्थन करने की अनुमति देगा या नहीं.

इसके बारे में पूछने पर सिंह ने कहा कि सभी दरवाजे खुले हैं लेकिन एक शर्त के साथ.

उन्होंने कहा, हमें पहले भी उनकी जरूरत नहीं थी. लेकिन अगर वे सहयोग करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. हम बस यही चाहते हैं कि वे डब्ल्यूएफआई के साथ पारदर्शी रहें. वे पहलवानों के साथ गुपचुप करार नहीं कर सकते. अगर वे मदद करना चाहते हैं तो वे हमारे साथ बैठकर योजना बना सकते हैं.

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