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एमपी की मंत्री उषा ठाकुर पर क्यों दर्ज नहीं हुई FIR, मामला क्राइम का और जांच कर रहा वन विभाग - Forest Minister Vijay Shah

मध्य प्रदेश की पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर पर डकैती के आरोप लग रह रहे हैं. ये मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की. जबकि आपराधिक मामले में सबसे पहले शिकायत दर्ज होती है.

उषा ठाकुर
उषा ठाकुर

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Published : Jan 13, 2021, 10:38 PM IST

इंदौर : मध्य प्रदेश की पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर पर डकैती का आरोप लगा है. वन मंत्री विजय शाह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. वन विभाग के एक अधिकारी की शिकायत पर मामला सामने आया है. जांच टीम महू पहुंच चुकी है और अपने काम में जुट गई है. लेकिन इस सबके बीच एक सवाल बहुत अहम है. आखिर पुलिस ने वनकर्मियों की शिकायत पर मामला दर्ज क्यों नहीं किया..?

डिप्टी रेंजर का बयान.

क्या कहना है लीगल एक्सपर्ट का ?
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सूरज उपाध्याय का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों की तरफ से आपराधिक मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस आना-कानी करती रही. जो गलत है. सामान्य तौर पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी. क्योंकि आरोप डकैती के थे. उसके बाद जांच होती. अगर इस मसले से मंत्री उषा ठाकुर का कोई लेना-देना नहीं है, तो जांच में स्पष्ट हो जाता. ये गंभीर लापरवाही है. सुप्रीम कोर्ट कुसुम कुमारी बनाम बिहार राज्य मामले में स्पष्ट कर चुका है कि ऐसे मामले में पुलिस पहले शिकायत दर्ज करे, फिर जांच करे.

अधिवक्ता सूरज उपाध्याय का बयान.

उन्होंने कहा कि कायदे से पुलिस एफआईआर दर्ज करती, फिर वन विभाग के उच्च अधिकारियों से संपर्क करते. मामले में वन विभाग को लगता कि इस पर जांच कमेटी की जरूरत है, तो वे अलग से अपनी जांच करवा सकते थे. लेकिन सब उलटा हुआ. पुलिस इसमें शामिल नहीं है और पहले जांच कमेटी बन गई है.

वन विभाग के अधिकारी करेंगे जांच
वन मंत्री द्वारा गठित जांच दल महू पहुंच चुका है. अधिकारियों का कहना है कि वे तमाम पहलूओं को देखते हुए जांच पूरी करेंगे. फिर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिसे शासन को सौंपा जाएगा. रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करना शासन का काम है, वह केवल जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.

वन मंत्री विजय शाह का बयान.

क्या आरोप लगे ?
महू वन विभाग में पदस्थ डिप्टी रेंजर आरएस दुबे ने पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर पर सरकारी कार्य में बाधा डालने और डकैती जैसे संगीन आरोप लगाए हैं. साथ ही थाने में एक आवेदन दिया है. यह आवेदन पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. बता दें कि मंत्री उषा ठाकुर महू विधानसभा से ही विधायक हैं.

मंत्री उषा ठाकुर सहित करीब 20 लोगों के खिलाफ हाल ही में वन विभाग द्वारा एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है. ये आवेदन बड़ौदा पुलिस थाने में किया गया. बताया जा रहा है कि इसमें मंत्री सहित सभी लोगों पर डकैती डालने और सामान लूटकर ले जाने का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई. लेकिन अंत में आवेदन को लौटा दिया गया. वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.टीम ने अपना शुरू कर दिया है.

आवेदन

कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने कहा कि सीएम शिवराज का माफियाओं पर कार्रवाई को लेकर जो दावे किए थे, वो सब झूठे साबित हो रहे हैं. उन्हीं की कैबिनेट की मंत्री डकैती डालने जा रहीं हैं. पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है. ये इतिहास में पहली बार है, जब कोई मंत्री डकैती डालने जा रहा है.

कांग्रेस का आरोप

मंत्री उषा ठाकुर की सफाई
मंत्री उषा ठाकुर ने एक वीडियो जारी कर सफाई दी है. उनका कहना है कि मेरा इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. मामले में उनका नाम जोड़कर सिर्फ राजनीति की जा रही है.

मंत्री उषा ठाकुर का बयान.

'ओछी राजनीति कर रही कांग्रेस'
मंत्री उषा ठाकुर का कहना है इस मामले में बीजेपी कार्यकर्ता मनोज पाटीदार ने निर्माण कार्य जानकारी वन विभाग को दी थी. जहां तक मेरा सवाल है तो मैं इस बारे में बताना चाहती हूं कि मंगलवार को डॉ भीमराव अंबेडकर मंडल में करोड़ों रुपए के विकास कार्य का लोकार्पण हुआ. कार्यक्रम में शामिल होकर उसी मार्ग से लौटने के दौरान का एक वीडियो बनाया गया. जिसे बाद में कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार ने जारी कर मामले में मेरा नाम जोड़ा. ये ओछी राजनीति का तरीका है. वीडियो जारी करने के पीछे की मंशा को जनता अच्छे से समझ रही है.

ये है मामला
बड़गोंदा पुलिस थाने में वन विभाग की तरफ से एक आवेदन दिया गया था. उसमें मंत्री उषा ठाकुर और उनके समर्थकों पर जब्त की गई जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली ले जाने का आरोप है. मामला क्षेत्र के आड़ा पहाड़ का है, जहां पिछले दिनों बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा था.

10 जनवरी को वन क्षेत्र महू की बड़गौंदा बीट के कक्ष क्रमांक 66 में अवैध रूप से खुदाई की जा रही थी. यहां से निकलने वाली मुरम बिना अनुमति के ही सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी. शिकायत मिलने पर इस मामले में कार्रवाई करते हुए एक जेसीबी क्रमांक एमपी 41 एचई 05 76, ट्रैक्टर और ट्रॉली को जब्त कर प्रकरण कायम किया और इन वाहनों को वन परिसर में लाकर खड़ा कर दिया गया. इन्ही वाहनों को जबरन उठा ले जाने का आरोप है.

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