न्यूयॉर्क :भारत के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा कि आतंकवादी मकसदों के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग आतंकदवाद के सबसे गंभीर खतरों के रूप में उभरे हैं और आतंकवाद को रोकने के लिए किन नये प्रतिमानों का प्रयोग किया जाएगा, वे इन्हीं आधारों पर तय होंगे.
ड्रोन की मदद से सैन्य अड्डे पर हमले की नई कोशिश को रत्नुचक-कालुचक अड्डे पर चौकन्ने सैन्य बलों ने नाकाम कर दिया था, जिन्होंने मानवरहित हवाई वाहनों पर गोली चलाई तो वे वहां से उड़कर दूसरी जगह चले गए. इस घटना से कुछ देर पहले भारतीय वायुसेना के एक केंद्र पर पहली बार क्वाडकॉप्टर (ड्रोन) का इस्तेमाल कर हमला किया गया था.
सैन्य अड्डे पर पहला ड्रोन रविवार को करीब 11 बजकर 45 मिनट पर देखा गया था जिसके बाद दूसरा देर रात दो बजकर 40 मिनट पर दिखा. इस सैन्य अड्डे पर 2002 में आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 10 बच्चे समेत 31 लोग मारे गए थे.
भारतीय वायुसेना अड्डे पर हुआ हमला संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए ड्रोन का प्रयोग करने की पहली घटना है.
'आतंकवाद के वैश्विक संकट : वर्तमान खतरों और नये दशक के लिए उभरते चलनों के मूल्यांकन' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, मौजूदा चिंताओं में एक और जुड़ी चिंता ड्रोन का इस्तेमाल है.
आतंकी संगठनों द्वारा ड्रोन का प्रयोग नई चुनौती
कौमुदी ने महासभा में सदस्य राष्ट्रों की आतंकवादी रोधी एजेंसियों के प्रमुखों के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में कहा, किफायती एवं आसानी से उपलब्ध विकल्प होने की वजह से भयावह उद्देश्यों जैसे खुफिया जानकारी जुटाने, हथियारों या विस्फोटकों को पहुंचाने और लक्षित हमलों के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा ड्रोन का प्रयोग दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसन्न खतरा एवं चुनौती बन गया है.'
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी उनके बयान के मुताबिक कौमुदी ने कहा, सामरिक एवं व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी मकसदों के लिए हथियार के रूप में ड्रोन के प्रयोग की आशंका पर सदस्य राष्ट्रों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है. हमने आतंकवादियों को मानवरहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) का सीमा पार से हथियारों की तस्करी में प्रयोग करते हुए देखा है.