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आतंकवाद के लिए ड्रोन के प्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता : भारत - जम्मू ड्रोन हमला

सामरिक एवं व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियारों के रूप में ड्रोन के प्रयोग की आशंका पर वैश्विक समुदाय को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. भारत ने जम्मू में सैन्य अड्डे पर ड्रोन हमले के दो दिन बाद संयक्त राष्ट्र महासभा में यह बात कही.

आतंकवाद के लिए ड्रोन का प्रयोग
आतंकवाद के लिए ड्रोन का प्रयोग

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Published : Jun 29, 2021, 1:16 PM IST

न्यूयॉर्क :भारत के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा कि आतंकवादी मकसदों के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग आतंकदवाद के सबसे गंभीर खतरों के रूप में उभरे हैं और आतंकवाद को रोकने के लिए किन नये प्रतिमानों का प्रयोग किया जाएगा, वे इन्हीं आधारों पर तय होंगे.

ड्रोन की मदद से सैन्य अड्डे पर हमले की नई कोशिश को रत्नुचक-कालुचक अड्डे पर चौकन्ने सैन्य बलों ने नाकाम कर दिया था, जिन्होंने मानवरहित हवाई वाहनों पर गोली चलाई तो वे वहां से उड़कर दूसरी जगह चले गए. इस घटना से कुछ देर पहले भारतीय वायुसेना के एक केंद्र पर पहली बार क्वाडकॉप्टर (ड्रोन) का इस्तेमाल कर हमला किया गया था.

सैन्य अड्डे पर पहला ड्रोन रविवार को करीब 11 बजकर 45 मिनट पर देखा गया था जिसके बाद दूसरा देर रात दो बजकर 40 मिनट पर दिखा. इस सैन्य अड्डे पर 2002 में आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 10 बच्चे समेत 31 लोग मारे गए थे.

भारतीय वायुसेना अड्डे पर हुआ हमला संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए ड्रोन का प्रयोग करने की पहली घटना है.

'आतंकवाद के वैश्विक संकट : वर्तमान खतरों और नये दशक के लिए उभरते चलनों के मूल्यांकन' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, मौजूदा चिंताओं में एक और जुड़ी चिंता ड्रोन का इस्तेमाल है.

आतंकी संगठनों द्वारा ड्रोन का प्रयोग नई चुनौती
कौमुदी ने महासभा में सदस्य राष्ट्रों की आतंकवादी रोधी एजेंसियों के प्रमुखों के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में कहा, किफायती एवं आसानी से उपलब्ध विकल्प होने की वजह से भयावह उद्देश्यों जैसे खुफिया जानकारी जुटाने, हथियारों या विस्फोटकों को पहुंचाने और लक्षित हमलों के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा ड्रोन का प्रयोग दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसन्न खतरा एवं चुनौती बन गया है.'

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी उनके बयान के मुताबिक कौमुदी ने कहा, सामरिक एवं व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी मकसदों के लिए हथियार के रूप में ड्रोन के प्रयोग की आशंका पर सदस्य राष्ट्रों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है. हमने आतंकवादियों को मानवरहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) का सीमा पार से हथियारों की तस्करी में प्रयोग करते हुए देखा है.

कौमुदी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके कारण एकांत में रहने पर मजबूर होने ने लोगों पर इंटरनेट के प्रभाव को और बढ़ा दिया है जिससे वे आतंकवादी संगठनों द्वारा कट्टर बनाए जाने और भर्ती किए जाने के प्रति संवेदनशील बनाता है.

उन्होंने कहा कि सम्मोहित करने वाले वीडियो गेम के जरिए आतंकवादी दुष्प्रचार फैलाना आतंकवादियों द्वारा वैश्विक महामारी के दौरान अपनाई गई एक और रणनीति है.

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उन्होंने कहा, देशों के लिए नई प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग के कारण उभरने वाले वैश्विक खतरों खासकर आतंकवाद एवं हिंसक चरमपंथ के लिए लक्षित जोखिमों से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है.

आतंकवाद के खिलाफ जंग को कमजोर करेगा ड्रोन
भारत ने दुनिया को आतंकवादी प्रेरणाओं खासकर धर्म एवं राजनीतिक विचारधारा के आधार पर आतंकवाद को वर्गीकृत करने की प्रवृत्ति के खिलाफ एकजुट रहने के लिए कहा. कौमुदी ने कहा, यह निश्चित तौर पर हमें बांटेगा और आतंकवाद के खिलाफ हमारी जंग को कमजोर कर देगा.

उन्होंने इसके लिए बिना किसी बहाने एवं अपवाद के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से सामूहिक कार्रवाई करने का आह्वान किया और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जो देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं उनका नाम उजागर किया जाए एवं उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए.

भारत ने आतंकवाद रोधी एवं सुरक्षा संबंधी व्यापक ढांचा सामने रखने के अलावा साइबर क्षेत्र में कई उपाय किए हैं जो कट्टरता को रोकने एवं कट्टरता को समाप्त करने की रणनीतियों को शामिल करते हुए बनाए गए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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