नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में नए शुरू किए गए पांच वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों- बीए एलएलबी (ऑनर्स) और बीबीए. एलएलबी (ऑनर्स) में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) 2023 के अंकों पर विचार करने के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ के पास सुनवाई के लिए आई है.
कोर्ट ने फिलहाल मामले को अपने पास रख लिया है. डीयू लॉ फैकल्टी में पढ़ने वाले छात्र प्रिंस सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि विश्वविद्यालय को प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के स्कोर को लागू करना चाहिए. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कहा है कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी स्नातक की दाखिला प्रक्रियाओं को सीयूईटी के अनुसार पूरा करेंगे.
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इसी के अनुसार डीयू में अन्य सभी पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले सीयूईटी के माध्यम से हो रहे हैं तो फिर पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रमों के लिए क्लैट स्कोर का उपयोग किया जाना ठीक नहीं है. क्लैट के स्कोर का उपयोग करने के कारण छात्रों का केवल एक अलग वर्ग ही डीयू के विधि संकाय में पांच वर्षीय पाठ्यक्रमों में प्रवेश सुरक्षित कर सकता है.