नई दिल्ली : ह्वाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने स्पष्ट कर दिया है कि ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी - AUKUS में कोई और शामिल नहीं होगा.
हालांकि उनका बयान प्रत्यक्ष नहीं था, यह भारत और जापान के लिए एक संकेत था कि वे AUKUS का हिस्सा नहीं हो सकते. क्या भारत और जापान की AUKUS में एक समान तरह की सैन्य भूमिका होगी, इस सवाल का जवाब देते हुए ह्वाइट हाउस की सचिव जेन साकी ने कहा, पिछले हफ्ते AUKUS की घोषणा एक संकेत के लिए नहीं थी और मुझे लगता है कि यह एक संदेश है जिसे राष्ट्रपति ने मैक्रों को भी भेजा है - कि हिंद-प्रशांत में सुरक्षा में कोई और शामिल नहीं होगा.
साकी ने कहा, फ्रांसीसी के साथ, इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष रुचि रखने वाले कई देशों के साथ बेशक, यह चर्चा का विषय है, बातचीत में एक महत्वपूर्ण विषय है. मैं यह कह सकती हूं कि क्वाड मीटिंग में किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, इसके बारे में पहले से बताया जा सकता है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा, भारत को सुरक्षा साझेदारी AUKUS का हिस्सा होने को लेकर परेशान क्यों होना चाहिए? भारत का AUKUS का हिस्सा बनना NATO की तरह होगा. भारत के पास पहले से ही Quad की सदस्यता है और मुझे नहीं लगता है कि भारत को AUKUS में जाने या न जाने से निराश होना चाहिए.
AUKUS सिर्फ एक रक्षा-उन्मुख साझेदारी है, लेकिन क्वाड आतंकवाद, आपूर्ति श्रृंखला, इंडो-पैसिफिक, जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन आदि सहित विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित है.
उन्होंने रेखांकित किया कि फ्रांस, जर्मनी जैसे देश AUKUS से खुश नहीं हैं, तो भारत को उस साझेदारी में शामिल होने के लिए परेशान क्यों होना चाहिए जहां हमें कुछ भी प्रत्यक्ष नहीं मिलता है?