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अमेरिका और भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कर सकते हैं सहयोग : कृष्णमूर्ति

अमेरिका के अफगानिस्तान से अपनी सेना निकालने के साथ ही इतिहास में सबसे लंबे युद्ध के खत्म होने पर एक प्रभावशाली भारतवंशी अमेरिकी सांसद ने कहा कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे का सहयोग कर सकते हैं.

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Published : Sep 1, 2021, 10:08 AM IST

वाशिंगटन : भारतवंशी अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान में अपना आतंकवाद विरोधी अभियान जारी रखना चाहिए ताकि वह आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह न बने.

उन्होंने एक साक्षात्कार में से कहा कि भारत और अमेरिका कई तरीकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग कर सकते हैं जिसमें खुफिया सूचनाएं साझा करना भी शामिल हैं, साथ ही आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमता बढ़ाने और उनके मंसूबों पर पानी फेरने के लिए काम कर सकते हैं.

इलिनोइस से तीन बार के सांसद कृष्णमूर्ति खुफिया मामलों पर सदन की स्थायी चयन समिति के पहले भारतवंशी सदस्य हैं, उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमें आतंकवाद के खिलाफ अपने प्रयास जारी रखने होंगे. मुझे लगता है कि इसमें न केवल भारत और अमेरिका शामिल होंगे बल्कि क्षेत्र के हमारे सहयोगी और साझेदार भी शामिल होंगे.

अफगानिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के समाप्त होने पर उन्होंने उन सैनिकों की प्रशंसा की जिन्होंने देश में सेवा दी और कहा कि सेना ने पिछले दो हफ्तों में उस देश से 1,20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकालने में मदद की जो अब तक किसी देश से निकाले गए लोगों का सबसे बड़ा अभियान है.
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिकी लोग चाहते थे कि हम 20 साल बिताने, अरबों रुपये खर्च करने और हजारों अमेरिकी सैनिकों को मरते देखने के बाद अफगानिस्तान से निकल जाएं.

हालांकि, उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से निकली उसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि यह बेहतर तरीके से किया जा सकता था. कृष्णमूर्ति ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान में अपना आतंकवाद रोधी अभियान जारी रखना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि हम आईएसआईएस या अलकायदा जैसे अन्य समूहों को अफगानिस्तान में पनाह लेते नहीं देख सकते. खुफिया समिति का सदस्य होने के नाते मैं तालिबान के साथ अपनी सरकार को भी यह सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह ठहराऊंगा कि अफगानिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह न बने.
(पीटीआई-भाषा)

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