वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने मंगलवार को कहा कि वे भारतीय उपमहाद्वीप में अत्यधिक गर्मी एवं भविष्य में संभावित कमी के कारण गेहूं के निर्यात को सशर्त बैन के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए भारत को मनाने की कोशिश करेगा. मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते गेहूं के निर्यात को "निषिद्ध" श्रेणी के तहत रखकर देश की निर्यात नीति में संशोधन किया. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकार ने "तत्काल प्रभाव" से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर न्यूयॉर्क में एक प्रेस वार्ता में बोलते हुए, राजदूत थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि उन्होंने भारत के फैसले पर रिपोर्ट देखी है और वे कोशिश कर रहे हैं कि भारत अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर बैन लगाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "हम देशों को निर्यात को बैन नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी प्रतिबंध से खाद्यान्न की कमी बढ़ेगी. भारत सुरक्षा परिषद की बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा. और आशा करते हैं कि वे अन्य देशों की चिंताओं पर गौर करते हुए वे अपने बैन के आदेश पर पुनर्विचार करेंगे.
भारत ने शनिवार को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के फैसले से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण होगा और देश और देशों की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी. साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना हुआ है क्योंकि वह सभी अनुबंधों का सम्मान कर रहा है. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव सुधांशु पांडे और कृषि सचिव मनोज आहूजा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, वाणिज्य सचिव ने कहा कि सभी निर्यात आदेश जहां साख पत्र जारी किया गया है, उन्हें पूरा किया जाएगा. सरकारी चैनलों के माध्यम से गेहूं के निर्यात को निर्देशित करने से न केवल हमारे पड़ोसियों और खाद्य-घाटे वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित होगा, बल्कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर भी नियंत्रण होगा.