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No Racial Reservation For Indians in US University: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भारतीय छात्रों पर असर, जानिए क्या है मामला

यूएस सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में दाखिले में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सकारात्मक कार्रवाई (affirmative action) को खारिज कर दिया. ऐसे में जानिए भारतीय छात्रों पर इसका क्या असर पड़ेगा ?

affirmative action
भारतीय छात्रों पर असर

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Published : Jun 30, 2023, 5:39 PM IST

नई दिल्ली :अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रवेश में नस्ल और जातीयता के उपयोग (सकारात्मक पक्षपात) पर प्रतिबंध लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से दशकों पुरानी प्रथा को बड़ा झटका लगा, जिसने अफ्रीकी-अमेरिकियों और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा दिया.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय प्रवासियों को नुकसान पहुंचने की संभावना है. ओपन डोर्स 2022 की रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिका में 10 लाख से अधिक विदेशी छात्रों में से भारतीय छात्र करीब 21 फीसदी हैं. 2021-22 शैक्षणिक वर्ष में लगभग 200,000 भारतीय छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका को चुना, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19% अधिक है.

2023 प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) के अध्ययन के अनुसार छह सबसे अधिक आबादी वाले जातीय समूहों में भारतीय अमेरिकियों में कॉलेज डिग्री धारकों का अनुपात सबसे अधिक 75% है, जबकि वियतनामी अमेरिकियों में सबसे कम 32% है. जाहिर तौर पर नस्ल के आधार पर एडमिशन में छूट और फीस से जुड़े मामले में भारतीय छात्रों पर इसका असर पड़ेगा.

हालांकि अमेरिकी कोर्ट के इस फैसले पर कुछ लोगों का मानना है कि यह एक समतापूर्ण और न्यायपूर्ण समाज के लिए महत्वपूर्ण है, चाहे वह भारत में हो या अमेरिका में. वहीं, ट्वीटर पर एक यूजर ने लिखा कि इस फैसले से भारतीय प्रवासियों को नुकसान होने की संभावना है. उसने लिखा कि 'मैं भारतीय हूं और मैंने हमेशा सकारात्मक पक्षपात का समर्थन किया है. यह दयनीय है कि एशियाइयों के एक छोटे से प्रतिशत को श्वेत वर्चस्व के एजेंडे द्वारा यह सोचने के लिए प्रेरित किया गया कि अश्वेतों के लिए सकारात्मक कार्रवाई उन्हें नुकसान पहुंचा रही है. क्या हमें गणित में अच्छा नहीं होना चाहिए?'

कोर्ट ने ये दिया फैसला : वैचारिक आधार पर 6-3 से मतदान करते हुए अदालत ने पाया कि हार्वर्ड कॉलेज और उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों ने संविधान के समान सुरक्षा खंड का उल्लंघन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंट्स फॉर फेयर एडमिशन्स द्वारा लाए गए दो मामलों का फैसला किया. ये एक रूढ़िवादी कानूनी रणनीतिकार एडवर्ड ब्लम की अध्यक्षता वाला एक समूह है, जिन्होंने सकारात्मक कार्रवाई के लिए लड़ने में वर्षों बिताए हैं. एक मामले में तर्क दिया गया कि हार्वर्ड की प्रवेश नीति एशियाई अमेरिकी आवेदकों के साथ गैरकानूनी रूप से भेदभाव करती है. दूसरे ने दावा किया कि उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय श्वेत और एशियाई अमेरिकी आवेदकों के साथ गैरकानूनी रूप से भेदभाव करता है.

हालांकि स्कूलों ने उन दावों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि नस्ल केवल कुछ ही मामलों में निर्धारक है और इस प्रथा को रोकने से परिसर में अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आएगी.

सकारात्मक पक्षपात क्या है (What is affirmative action) ?आम तौर पर किसी भी शिक्षा संस्थान में अश्वैत, हिस्पैनिक और अन्य अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से प्रवेश नीतियों में विशेष छूट का प्रावधान किया जाता है. एडमिशन रेस को ध्यान में रखने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने कहा है कि वे ऐसा समग्र दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में करते हैं जो ग्रेड, टेस्ट स्कोर और पाठ्येतर गतिविधियों सहित किसी एप्लिकेशन के हर पहलू की समीक्षा करता है. इसका उद्देश्य छात्रों के शैक्षिक अनुभव को बढ़ाने के लिए छात्र विविधता को बढ़ाना है. स्कूल विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भर्ती कार्यक्रम और छात्रवृत्ति के अवसर भी अपनाते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का मुकदमा प्रवेश पर केंद्रित था.

अमेरिका के नौ राज्यों में प्रतिबंध :अमेरिका में कोर्ट के फैसले के बादनौ राज्यों ने सार्वजनिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश नीतियों में नस्ल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है इसमें एरिज़ोना, कैलिफ़ोर्निया, फ्लोरिडा, इडाहो, मिशिगन, नेब्रास्का, न्यू हैम्पशायर, ओक्लाहोमा और वाशिंगटन शामिल हैं.

विविधता पर पड़ेगा असर : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हालांकि कई विश्वविद्यालयों के नेताओं ने गुरुवार को कहा कि वे इसे विविधता पर आघात के रूप में देखने से निराश हैं और अब वे छात्र विविधता को बढ़ावा देने के लिए नए तरीकों की खोज कर रहे हैं.

इससे पहले, कैलिफोर्निया से फ्लोरिडा तक, वैकल्पिक तरीकों का प्रयास किया गया है, जैसे कम आय वाले परिवारों को प्राथमिकता देना या सभी समुदायों के शीर्ष छात्रों को प्रवेश देना. हालांकि, इन प्रयासों के मिश्रित परिणाम मिले हैं, विशेषकर चुनिंदा संस्थानों में अश्वैत और हिस्पैनिक छात्रों के बीच नामांकन में गिरावट देखी गई है.

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