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अमेरिकी हवाई हमले में आत्मघाती हमलावर को बनाया निशाना, जानें तालिबान ने और क्या कहा - US airstrike targeted suicide bomber

तालिबान ने कहा कि रविवार को एक अमेरिकी हवाई हमले में एक वाहन में एक आत्मघाती हमलावर को निशाना बनाया गया, जो काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हमला करना चाहता था. जहां से अमेरिकी सेना का निकासी अभियान चल रहा है.

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Published : Aug 29, 2021, 9:44 PM IST

काबुल : तालिबान ने कहा कि रविवार को एक अमेरिकी हवाई हमले में एक वाहन में एक आत्मघाती हमलावर को निशाना बनाया गया. घटना के बारे में कुछ प्रारंभिक जानकारी थी, साथ ही हवाई अड्डे से उत्तर-पश्चिम में स्थित एक इलाके में एक रॉकेट हमले की भी कुछ जानकारी थीं. जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई.

शुरुआती तौर पर दोनों घटनाएं अलग-अलग प्रतीत हो रही हैं, हालांकि दोनों के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है. यह रॉकेट हमला ऐसे समय किया गया है, जब अमेरिका अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के लिए एक ऐतिहासिक अभियान संचालित कर रहा है, जिसमें काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हजारों लोगों को निकाला गया है.

अफगानिस्तान में दो सप्ताह पहले तालिबान के कब्जे के बाद से बहुत अराजकता की स्थिति है. इस्लामिक स्टेट के एक सहयोगी संगठन द्वारा किए गए आत्मघाती हमले के बाद तालिबान ने हवाई क्षेत्र के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है. उस आत्मघाती हमले में 180 से अधिक लोग मारे गए थे.

ब्रिटेन ने शनिवार को अपनी निकासी उड़ानें समाप्त कर दीं. अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध से सभी सैनिकों को वापस निकालने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा निर्धारित मंगलवार की समय सीमा से पहले अमेरिकी सैन्य मालवाहक विमानों ने रविवार को हवाई अड्डे से उड़ान जारी रखी.

हालांकि देश में रह गए अफगानिस्तानी नागरिकों को तालिबान के अपने पहले के दमनकारी शासन में वापस आने की चिंता है. इस आशंका को हाल ही में विद्रोहियों द्वारा देश में एक लोक गायक की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद बल मिला है.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पत्रकारों को भेजे संदेश में कहा कि हमले में हमलावर को निशाना बनाया गया जो विस्फोटकों से लदे वाहन को चला रहा था. मुजाहिद ने कुछ और जानकारियां दीं. इस बारे में टिप्पणी के लिए अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से तत्काल संपर्क नहीं हो सका.

काबुल के पुलिस प्रमुख राशिद ने कहा कि रॉकेट हमला काबुल के ख्वाजा बुघरा इलाके में हुआ. हमले के बाद एसोसिएटेड प्रेस द्वारा प्राप्त वीडियो में हवाई अड्डे से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित इमारत से धुआं उठता दिखाई दे रहा है. किसी भी समूह ने अभी तत्काल हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. हालांकि आतंकवादियों ने अतीत में रॉकेट दागे हैं.

इस बीच काबुल के उत्तर में एक लोक गायक के परिवार का कहना है कि तालिबान ने उसे मार डाला. लोक गायक फवाद अंदराबी की गोली मारकर हत्या अंदराबी घाटी में हुई. यह काबुल से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में बगलान प्रांत का एक क्षेत्र है.

तालिबान के कब्जे के बाद से घाटी में उथल-पुथल देखी गई है. क्षेत्र के कुछ जिले तालिबान शासन के विरोध वाले मिलिशिया लड़ाकों के नियंत्रण में आ गए हैं. तालिबान का कहना है कि उसने उन क्षेत्रों को वापस ले लिया है हालांकि हिंदू कुश पहाड़ों में स्थित पंजशीर अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से केवल एक है जो उसके नियंत्रण में नहीं है.

अंदराबी के पुत्र जवाद अंदराबी ने बताया कि तालिबान लड़ाके पहले उनके घर आए और उसकी तलाशी ली. यहां तक ​​कि संगीतकार के साथ चाय भी पी लेकिन शुक्रवार को सब कुछ बदल गया. जवाद ने कहा कि वह निर्दोष थे. एक गायक थे जो केवल लोगों का मनोरंजन कर रहे थे. उन्होंने उन्हें एक खेत में सिर में गोली मार दी. उनके बेटे ने कहा कि वह न्याय चाहते हैं और एक स्थानीय तालिबान परिषद ने उनके पिता के हत्यारे को दंडित करने का वादा किया है.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि तालिबान घटना की जांच करेगा लेकिन हत्या के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं है. सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत करीमा बेन्नौने ने ट्विटर पर लिखा कि उन्हें अंदराबी की हत्या पर गंभीर चिंता है. उन्होंने लिखा कि हम सरकारों से यह मांग करने का आह्वान करते हैं कि तालिबान कलाकारों के मानवाधिकारों का सम्मान करें. एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने भी हत्या की निंदा की.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि 2021 का तालिबान 2001 के असहिष्णु, हिंसक, दमनकारी तालिबान जैसा ही है. 20 साल बाद भी कुछ भी नहीं बदला है. इस बीच रविवार को पूरे अफगानिस्तान में निजी बैंकों ने अपना परिचालन फिर से शुरू कर दिया.

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हालांकि उन्होंने निकासी को प्रतिदिन 200 डॉलर के बराबर तक सीमित किया. कुछ लोगों ने अभी भी अपनी राशि का उपयोग करने में असमर्थ होने की शिकायत की. सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों में भुगतान नहीं किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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