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Ajmer Dargah Urs 2023 : जियारत पर आए जायरीनों का कायड़ विश्राम स्थली में बसा गांव

राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811वें उर्स में शामिल होने के लिए आए जायरीनों के ठहरने के लिए कायड़ विश्राम स्थली (Kayad Vishram Sthali Ajmer) पर सभी व्यवस्थाएं की गई हैं. यहां करीब 70 हजार जायरीन ठहरे हुए हैं.

Ajmer Dargah Urs 2023
जियारत पर आए जायरीनों का कायड़ विश्राम स्थली में बसा गांव

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Published : Jan 29, 2023, 9:39 AM IST

जियारत पर आए जायरीनों का कायड़ विश्राम स्थली में बसा गांव

अजमेर.राजस्थान केअजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स की रौनक परवान चढ़ चुकी है. उर्स के मौके पर इस बार बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर पहुंचे हैं और ये सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है. कायड़ विश्राम स्थली में 70 हजार के करीब जायरीन ठहरे हुए हैं. ऊंचाई से यदि विश्राम स्थली के नजारे को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होगा कि मानों यहां जायरीनों का गांव बस गया है. खास बात यह है कि देश के कोने-कोने से आए इन जायरीनों में अलग-अलग मजहब के लोग शामिल हैं. ईटीवी भारत ने विश्राम स्थली का जायजा लिया और जिम्मेदारों से व्यवस्थाओं को लेकर बातचीत की.

ख्वाजा गरीब नवाज के देश-दुनिया में करोड़ों चाहने वाले हैं. उर्स के मौके पर ख्वाजा को चाहने वाले हर अकीदतमंद की दिली ख्वाहिश होती है कि वह ख्वाजा की चौखट पर आकर हाजरी लगाए. यही वजह है कि लाखों की संख्या में देश-दुनिया से जायरीन अजमेर अपनी मन्नतें और मुरादे को लेकर आते हैं. दरअसल, उन्हें विश्वास है कि गरीब नवाज उन्हें जरूर नवाजेंगे. ख्वाजा के दर पर आने वाले जायरीन यहां गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में ठहरते हैं. वहीं, कुछ दरगाह क्षेत्र में रिहायशी मकानों में किराए पर कमरे लेकर रहते हैं. जबकि जायरीन का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो कायड़ विश्राम स्थली में ठहरता है.

कायड़ विश्राम स्थली में जायरीन के आवास, भोजन, चिकित्सा, सुरक्षा, सफाई, बाजार और उनके आने जाने तक की व्यवस्था की गई है. यह जायरीन टेंट, बड़े डोम और पक्की विश्राम स्थली में रह रहे हैं. ईटीवी भारत ने विश्राम स्थली का जायजा लिया. विश्राम स्थली के बाहर एक हजार से भी अधिक बसों का जमावड़ा लगा हुआ है. वहीं, विश्राम स्थली में करीब 70 हजार जायरीन ठहरे हुए हैं. साथ ही बताया गया कि आज रात भर में विश्राम स्थली में जायरीन की संख्या 80 से 90 हजार हो जाएगी, क्योंकि यहां लगातार जायरीनों के आने का सिलसिला जारी है.

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दरअसल, आज यानी रविवार को ख्वाजा गरीब नवाज की छठी है. आज उनके छोटे कुल की रस्म अदा की जाएगी. उर्स की यह रस्म सबसे अहम होती है. जिसमें शामिल होने के लिए जायरीन केवड़ा और गुलाब जल लेकर दरगाह पहुंच रहे हैं, जो पूरे दरगाह को केवड़ा और गुलाब जल से धोएंगे. वहीं, कुल की रस्म के बाद जायरीन वापस लौट जाएंगे.

विश्राम स्थली में लंगर: दरगाह कमेटी के सदर सैयद शाहिद हसन रिजवी ने बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से दरगाह कमेटी उर्स से 3 महीने पहले ही तैयारियों में जुट जाती है. विश्राम स्थली में जायरीन की सहूलियत के लिए सभी इंतजाम माकूल किए गए हैं. इस बार उर्स सर्दी के मौसम में पड़ा है. ऐसे में जायरीन को सर्दी से बचाने की व्यवस्था भी की गई है. बड़े डोम और डॉरमेट्रियों को वाटरप्रूफ सीट से कवर किया गया है, ताकि सर्द हवाओं से जायरीन महफूज रहे.

वहीं, सफाई और चिकित्सा व्यवस्थाओं पर भी विशेष जोर दिया गया है. दरगाह कमेटी के नायब सदर मुनव्वर खान ने बताया कि देश के कोने-कोने से जायरीन विश्राम स्थली में आकर ठहरे हुए हैं. उन्होंने बताया कि साल भर मेहनत करके गरीब तबके के लोग पैसा जमा करते हैं और टूर ऑपरेटर्स से संपर्क कर बसों के जरिए अजमेर आते हैं. ऐसे अकीदतमंदों की ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति दीवानगी देखते ही बनती है.

यादों का सुनहरा तोहफा देने की कोशिश:दरगाह कमेटी में सहायक नाजिम आदिल बताते हैं कि एक हजार के करीब बसों का जमावड़ा विश्राम स्थली पर लगा हुआ है. वहीं, बड़ी संख्या में जायरीन ट्रेनों से भी अजमेर पहुंचे हैं. एक रजब से जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था, जो जुम्मे से अब बढ़ता ही जा रहा है. उन्होंने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज की छठी आज है. छोटे कुल की रस्म अदा करने के बाद जायरीन का अपने घर लौटने लगेंगे.

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आदिल आगे ने कहा कि सभी जायरीन ख्वाजा गरीब नवाज के मेहमान है. दरगाह कमेटी सिर्फ इंतजाम का जरिया मात्र है. जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी की पूरी कोशिश रहती है कि जायरीन को बेहतर सहूलियत मिले और हमारा प्रयास रंग भी ला रहा है. उन्होंने कहा कि हम यादों का एक सुनहरा तोहफा बनाकर जायरीन को देने की कोशिश करते हैं. बातचीत में आदिल ने बताया कि विश्राम स्थली पर जिला पुलिस और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी है. हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

मिनी इंडिया की झलक:दरगाह कमेटी के सदस्य वसीम खान ने बताया कि विश्राम स्थली में ठहरने वाले जायरीन किसी एक मजहब के नहीं हैं. यहां कई मजहब के लोग आए हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने बताया कि विश्राम स्थली में इन दिनों मिनी इंडिया की झलक देखने को मिल रही है. कमेटी के एक अन्य सदस्य सफात खान ने बताया कि जायरीनों के खाने-पीने की व्यवस्था वो खुद ही करते हैं और बड़ी संख्या में दानदाता भी यहां लंगर और चाय नाश्ते की व्यवस्था करते हैं.

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