लखनऊ :हजरतगंज के त्रिलोकनाथ रोड पर सड़क पर बैठकर लोगों की हाथ की रेखाएं देखने वाले राम सिंह ने पेटीएम का बारकोड लगाया हुआ है. उनका कहना है कि 'निश्चित तौर पर डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए काफी लाभ होता है. हमारे पैसों की बचत हो जाती है. इसके अतिरिक्त फुटकर नहीं देना पड़ता है.' बात केवल राम सिंह की ही नहीं है, उनके जैसे लाखों रेहड़ी-पटरी दुकानदार हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में डिजिटल ट्रांजेक्शन को लेकर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की है. डिजिटल लेनदेन को लेकर 2017 में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (Former Finance Minister P Chidambaram) ने बयान दिया था कि 'इस देश में यहां पर्याप्त इंटरनेट तक नहीं है, वहां डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Transaction) के जरिए एक सब्जी वाला कारोबार कैसे करेगा.' यह बयान आए दिन वायरल होता रहता है, मगर डिजिटल ट्रांजेक्शन को लेकर उत्तर प्रदेश के पटरी दुकानदारों में आई जागरूकता का परिणाम यह है कि पिछले वित्त वर्ष में डेढ़ सौ करोड़ के करीब का डिजिटल लेनदेन हुआ है. यह आंकड़ा केवल उन पटरी दुकानदारों का है जो नगर विकास विभाग में रजिस्टर्ड है. बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत पटरी दुकानदार भी है जो डिजिटल ट्रांजेक्शन करते हैं.
उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि 'हम पटरी दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन लगातार कर रहे हैं. उनको लोन भी दिलाया जा रहा है. लगातार ऐसे दुकानदारों को पेटीएम, यूपीआई, भीम ऐप और गूगल पे जैसे प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है, जिसमें आंकड़ा निकलकर सामने आ रहा है. पिछले करीब एक साल में डेढ़ सौ करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन किया गया है. यह सारे नगर निकाय विभाग के रजिस्टर्ड रेहड़ी पटरी दुकानदार हैं. इन सब का ट्रांजेक्शन एक साल में करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए का रहा है.'
इससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है आंकड़ा :रेहड़ी पटरी वालों का डिजिटल ट्रांजेक्शन का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है. जो डाटा सामने आया है वह केवल रजिस्टर्ड दुकानदारों का है. बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत दुकानदार भी उत्तर प्रदेश में डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहे हैं. उनके आंकड़े का जिक्र यहां नहीं किया गया है. हजरतगंज में उबले चने की चाट बेचने वाले इरशाद बताते हैं कि निश्चित तौर पर उधार और फुटकर का झंझट खत्म हो चुका है. डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए अधिक बचत हो जाती है.'