लखनऊ: महाठग संजय राय शेरपुरिया ने 30 से अधिक शेल कंपनिया बना रखी थीं. इन्हीं शेल कंपनियों के जरिए वो गाजीपुर समेत अन्य हिस्सों में जमीनों की खरीद फरोख्त कर रहा था. यही नहीं शेरपुरिया ने किन अधिकारियों और नेताओं से पैसों का लेन-देन किया, उसकी हर एक डिटेल अपनी डायरी में लिखता था. इसकी तलाश यूपी एसटीएफ और लखनऊ पुलिस को है.
रिमांड के दौरान संजय राय शेरपुरिया ने यूपी एसटीएफ के सामने कई राज खोले है. कैसे वो अरबों रुपये का मालिक बना और कब कहां उसने पैसे इन्वेस्ट किए इसकी पूरी जानकारी शेरपुरिया ने एसटीएफ को दी है. पूछताछ में पता चला है कि वह शेल कंपनियों के जरिए पैसे इधर से उधर करता था. इतना ही नहीं उसने गाजीपुर व आसपास के जिलों में करीब सौ करोड़ जमीनों में इन्वेस्ट किया था. इन जमीनों की खरीद उसकी 40 से अधिक शेल कंपनियों के जरिए हुई थी. एसटीएफ ने शेल कंपनियों की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दे दी है.
शेरपुरिया की डायरी में दर्ज हैं कई राज
शेरपुरिया से पूछताछ के दौरान यूपी एसटीएफ को एक चौकाने वाली बात पता चली है. सूत्रों के मुताबिक, गुजरात से लेकर दिल्ली और यूपी में कमाए गए पैसों, अधिकारियों और नेताओं के साथ होने वाले पैसों के लेन-देन की सभी डिटेल अपनी एक निजी डायरी में लिखता था. शेरपुरिया ने पूछताछ में बताया है कि वह यह डायरी पिछले 20 वर्षों से मेनटेन कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, ये डायरी उसके गुजरात के अहमदाबाद स्थित ससुराल में मौजूद है, जिसे हासिल करने के लिए यूपी एसटीएफ की एक टीम वहां जा सकती है.
मालिक की बेटी से शादी कर बना करोड़पति
इससे पहले गुरुवार को संजय राय शेरपुरिया ने एसटीएफ के सामने एक सामान्य व्यक्ति से अरबपति बनने की पूरी कहानी सुनाई थी. एसटीएफ की पूछताछ में उसने बताया था कि वर्ष 1998 में उसने गुजरात के गांधीनगर स्थित एक होटल में वेटर की नौकरी की थी. इस दौरान उसकी होटल मालिक की बेटी कंचन से दोस्ती हो गई और फिर उसे उसी होटल में मैनेजर बना दिया गया. धीरे-धीरे कंचन से उसकी दोस्ती प्यार में बदल गई और उससे शादी कर ली. शादी के कुछ वक्त बाद कंचन पढ़ाई के लिए अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी चली गई. इसके बाद वर्ष 2001 में शेरपुरिया ने पेट्रोकेमिकल्स कंपनी शुरू की. इसका दिल्ली और मुंबई में ऑफिस भी खोला था. देखते-देखते वह 300 करोड़ का एक बिजनेसमैन बन गया.
गौरतलब है कि 24 अप्रैल को इंटेलिजेंस विभाग को सूचना मिली थी कि संजय राय शेरपुरिया बीते कई वर्षों से राज्य और केंद्र के मंत्रियों के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर रहा था. उसने दिल्ली के एक व्यापारी गौरव डालमिया से केंद्रीय जांच एजेंसी में चल रहे केस को रफा-दफा कराने के नाम से छह करोड़ में डील फिक्स की थी. इसके बाद यूपी एसटीएफ ने आईबी की सूचना पर गुजरात से लखनऊ आए संजय शेरपुरिया को गिरफ्तार किया था. इसके बाद कोर्ट ने उसकी पांच दिन की विभूतिखंड पुलिस को रिमांड दी थी. वहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी संजय राय पर शिकंजा कस लिया है. ईडी ने गाजीपुर, दिल्ली और लखनऊ स्थित उसके ठिकानों पर दो बार छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं, जो बेनामी संपत्तियों से जुड़े हैं.
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