लखनऊ:उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में बिजली एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. प्रदेश में बिजली की आपूर्ति से लेकर बिजली बिल को लेकर घमासान मचा हुआ है. इन्हीं सब चुनावी मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने बिजली मंत्री एवं ऊर्जावान नेता श्रीकांत शर्मा से विशेष बातचीत की है. तो आइये जानते हैं क्या कुछ बाते उन्होंने कही.
सवाल:उत्तर प्रदेश में जिन बड़ी उपलब्धियों पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है, उनमें से एक बिजली की उपलब्धता भी है, जिस तरह सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार किया. सरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कहां तक सफल रही है ?
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जब हमारी सरकार उत्तर प्रदेश में आई थी तो बिजली की व्यवस्था जर्जर थी. आईसीयू में थी और कहीं ना कहीं बिजली को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत होती थी. बिजली एक मूलभूत आवश्यकता है. यह कोई सुविधा नहीं है. आजादी के 70 साल बाद भी यदि गांव और गरीब की झोपड़ी, अंधेरे में है, तो यह शर्मनाक बात है. मैं गांव से आता हूं और 12वीं तक की शिक्षा मैंने गांव में ली इसलिए मुझे पता है कि अंधेरे में पढ़ाई करना और जीवन यापन करना कितना मुश्किल होता है. उन्होंने कहा की गांव में जब ट्रांसफार्मर फूक जाते थे तो ,एक-एक महीना उनके सुधार में लग जाता था. और इसलिए मैं इन कड़वे अनुभव से रूबरू था और सौभाग्य से पार्टी ने मुझे बिजली मंत्री बना दिया. इसलिए मैंने सोचा कि इस कड़वे अनुभव को देखते हुए आने वाले जो युवा हैं उन्हें ऐसा अनुभव ना करना पड़े उसे मीठे स्वाद में कन्वर्ट करने की कोशिश मैने की.
हमारे यहां आयात की क्षमता नहीं थी, उसे बढ़ाया, ग्रिड की क्षमता 16000 मेगावाट तक ही थी उसे हमने 26000 किया. पहले बिजली सिर्फ चार जिलों को आती थी, अब हमने समान रूप से 75 जिलों में समान रूप से बिजली का वितरण किया. मेरे गांव में बिजली नहीं आती थी और यह जो मेरा अनुभव था इसी से मैंने संकल्प लिया कि गांव- गांव में बिजली पहुंचाना है. हमने एक करोड़ 45 लाख लोगों के घरों में बिजली पहुंचाने का काम उत्तर प्रदेश में पूरा किया है.
सवाल: यह पहले की किसी सरकार ने कोशिश क्यों नहीं की ?