लखनऊ : कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह (Rebel Congress MLA Aditi Singh) भाजपा में शामिल हो गई हैं. भाजपा को उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. बता दें कि रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह को कांग्रेस ने निलंबित कर रखा है. अदिति सिंह कांग्रेस से विधायक रहे दिवंगत बाहुबली अखिलेश सिंह (Akhilesh singh) की बेटी हैं. अदिति सिंह (Aditi singh) के आलावा बसपा विधायक वंदना सिंह भी भाजपा में शामिल हुई हैं.
भाजपा में शामिल होने के बाद अदिति सिंह ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कार्यशैली से बहुत प्रभावित थी, मैंने पूरे पांच साल उनकी कार्यशैली पर गौर किया. मैं अपनी सीट पर ज्यादा से ज्यादा मेहनत करके सीट जीता कर लाने का वादा करती हूं. इस दौरान उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि आज दो लोकप्रिय विधायिकाएं भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई हैं. एक अखिलेश यादव और डिंपल को टक्कर देने के लिए और एक सोनिया-प्रियंका को टक्कर देने के लिए. दोनों दलित और शोषित लोगों के बीच में काम करती हैं.
भाजपा एक मंदिर, मोदी-योगी इसके भगवान
वहीं BJP में शामिल होने के बाद वंदना सिंह ने कहा कि भाजपा एक मंदिर है और मैंने एक मंदिर में प्रवेश लिया है और इसके भगवान योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी हैं. मैं उनकी नीतियों में विश्वास रखते हुए बीजेपी में शामिल हुई हूं. बसपा में मुझे मेरी गलती नहीं बताई गई, मेरा पक्ष नहीं जाना और मुझे निलंबित कर दिया गया.
गौरतलब है कि अदिति कांग्रेस पर कई गंभीर सवाल खड़े कर चुकी हैं.इससे पहले तीन कृषि कानूनों को लेकर अदिति सिंह ने प्रियंका गांधी पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि विधेयक लाए जाने पर प्रियंका गांधी को समस्या हुई थी. कानून (कृषि कानून) निरस्त कर दिए गए हैं, तब भी उन्हें समस्या है. वह क्या चाहती हैं? उन्हें स्पष्ट रूप से कहना चाहिए. वह सिर्फ मामले का राजनीतिकरण कर रही हैं. बागी विधायक अदिति सिंह ने यहां तक कह डाला था कि अब उनके पास राजनीतिकरण के लिए मुद्दे नहीं हैं. इसलिए वाे ऐसा कर रही हैं.
गत दिनों जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने बाद विधायक अदिति सिंह ने कहा था कि यह कांग्रेस के लिए बड़ी क्षति है. अदिति ने पार्टी को नसीहत देते हुए कहा था कि कांग्रेस को आत्ममंथन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि पार्टी में सुनवाई न होने के कारण युवा नेताओं में निराशा है.