लखनऊः अयोध्या में अधिकारियों और नेताओं द्वारा अपने परिजनों के नाम पर राम जन्मभूमि के आसपास जमीन खरीदने के हाईप्रोफाइल मामले की योगी सरकार (yogi government) ने जांच कराने का फैसला किया है. वहीं विपक्षी नेताओं की तरफ से भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेरने का काम तेजी से किया जा रहा है.इस पूरे मामले में राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है (siddharth nath singh on ayodhya land sacm) कि यह मामला गंभीर है और बड़ा मामला है. जिस प्रकार से जानकारी सामने आई है, उसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने जांच कराने की बात कही है. जांच कमेटी गठित की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
सिद्धार्थ नाथ सिंह (siddharth nath singh) ने कहा कि हमारी सरकार निष्पक्ष तरीके से काम करती है. गलत चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाता है. भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. जांच अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग मनोज सिंह के नेतृत्व में होगी. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
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विपक्ष ने लगाया था आरोप
आरोप है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि (Ram Temple in Ayodhya) मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के समय अयोध्या में तैनात कई अधिकारियों और नेताओं ने मिलीभगत करके जमीन की खरीद-फरोख्त की गई थी. इसको लेकर सबसे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कई सनसनीखेज दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए भाजपा सरकार पर राम के नाम पर लूट का बड़ा आरोप लगाया था.
अयोध्या भूमि खरीद मामले (ayodhya land purchase scam) में विपक्ष लगातार हमलावर है. प्रियंका गांधी ने अयोध्या जमीन विवाद पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. उन्होंने कहा, जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है, उसमें घोटाला हुआ है.
यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मायावती ने कहा कि अयोध्या जमीन खरीद मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए.
इसके बाद लगातार नेताओं और अधिकारियों के परिजनों के नाम पर जमीन खरीद-फरोख्त के दस्तावेज सामने आने के चलते योगी सरकार ने यह जांच कराने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई है और 1 सप्ताह में पूरी रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही के बारे में कहा जा रहा है.
इन पर है जमीन खरीद का आरोप
1. एमपी अग्रवाल, कमिश्नर अयोध्या
एमपी अग्रवाल नवंबर 2019 से अयोध्या के कमिश्नर हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्गमीटर जमीन खरीदी. उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में MRVT से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. कंपनी के रिकॉर्ड बताते हैं कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं.
2. दीपक कुमार, DIG अयोध्या
दीपक कुमार फिलहाल DIG अलीगढ़ हैं. वह 26 जुलाई, 2020 से 30 मार्च, 2021 के बीच अयोध्या के डीआईजी थे. इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्गमीटर MRVT से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था.
3. इंद्र प्रताप तिवारी, विधायक
आरोप है कि इन्होंने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर MRVT से 30 लाख रुपये में जमीन खरीदी. 16 मार्च 2021को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में जमीन ली.
4. पुरुषोत्तम दास गुप्ता , मुख्य राजस्व अधिकारी
पुरुषोत्तम दास गुप्ता 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे हैं. अब गोरखपुर में एडीएम (ई) हैं. उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर MRVT से 21.88 लाख रुपये में जमीन खरीदी.
5. वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक
आरोप है कि विधायक के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में खरीदा था. 29 दिसंबर 2020 को उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्गमीटर जमीन खरीदी.