गोरखपुर :समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दो दिवसीय रथयात्रा पर सवार होकर सीएम योगी के गढ़ में दहाड़ लगाई है. अखिलेश की इस रथयात्रा को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की इस रथयात्रा से 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता की उम्मीद जता रहे हैं. वहीं, भाजपा का कहना है कि गोरखपुर क्षेत्र में योगी-मोदी में विश्वास करने वाली जनता 2022 के चुनाव में अखिलेश को हवा में उड़ा देगी. आइए जानते हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों में गोरखपुर मंडल में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के क्या चुनावी समीकरण थे?
उल्लेखनीय है कि 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का गोरखपुर मंडल में सीटों को जीतने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा. 2017 तो उसके लिए बेहद खराब रहा. गोरखपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में सपा के हाथ एक भी सीट नहीं आई. सिर्फ देवरिया में भाटपार रानी विधानसभा सीट से आशुतोष उपाध्याय उर्फ बबलू चुनाव जीतने में कामयाब हुए. वहीं, 2012 में जीती हुई गोरखपुर की पिपराइच विधानसभा सीट को भी सपा ने गवां दिया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर की ग्रामीण विधानसभा में बीजेपी से सपा का काफी नजदीकी मुकाबला रहा तो समझौते में गई कांग्रेस के पाले में गोरखपुर सदर सीट पर भी सपा समर्थित प्रत्याशी बीजेपी से 60 हजार वोटों से हार गए. जिले की बांसगांव, खजनी और कैंपियरगंज सीट पर समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर रही.
2017 में सपा हुई धराशाई
2017 के चुनाव में देवरिया की 7 विधानसभा सीटों में 6 पर भाजपा ने कब्जा जमाया था. सिर्फ भाटपाररानी की सीट ही सपा के खाते में गई. इस चुनाव में 2012 में जीती 4 सीटों को सपा को हारना पड़ा था. वहीं, बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई. इसी प्रकार कुशीनगर की 7 विधानसभा सीटों में सातों सीट 2012 में भाजपा जीती. जबकि 2012 के चुनाव में सपा के पास यहां 3 सीट थी. कांग्रेस भी 2 सीटों पर जीतने में कामयाब हुई थी. बसपा और भाजपा तो एक-एक सीट पर ही सिमट गई थी. महराजगंज की बात करें तो 2017 के चुनाव में 5 विधानसभा सीटों में 4 पर बीजेपी जीती जबकि नौतनवा विधानसभा सीट निर्दलीय उम्मीदवार अमनमणि त्रिपाठी जीतने में कामयाब हुए. हालांकि 2012 में समाजवादी पार्टी को जिले से 3 सीटों को जीतने में कामयाबी मिली थी.