मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का स्तर कैसा है इसे राज्य के सरकारी स्कूलों से पता किया जा सकता है. कहीं शिक्षकों की भरमार है तो छात्र नहीं हैं और कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं हैं. लेकिन, मिर्जापुर में एक स्कूल ऐसा है जिसमें न शिक्षक हैं और ना ही छात्र, फिर भी यह स्कूल समय पर खुलता और समय पर ही बंद भी होता है.
दरअसल, स्कूल में जो एक शिक्षिका तैनात थी वह 2017 में रिटायर हो गईं. उसके बाद कोई नियुक्ति नहीं होने से छात्राओं ने भी स्कूल आना बंद कर दिया. स्कूल के दो फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी की नौकरी अभी बची है, जो हर दिन समय से आते हैं स्कूल को खोलते हैं. समय हो जाने पर स्कूल को बंद कर वापस घर चले जाते हैं. बीएसए का इस बारे में कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. शासन तक बात पहुंचाई जाएगी. मामला मिर्जापुर नरायनपुर ब्लॉक के कोलना गांव में बने राजकीय जूनियर हाई स्कूल का है.
यूपी के मिर्जापुर का अनोखा स्कूलःउत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नरायनपुर ब्लॉक के कोलना गांव के विद्यालय में 2017 में 12 छात्रा और एक शिक्षिका थीं. शिक्षिका के रिटायरमेंट बाद छात्राओं ने भी आना बंद कर दिया. फिर भी हरदिन विद्यालय में तैनात दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आते हैं, साफ-सफाई करते हैं और पूरे दिन ड्यूटी देकर शाम को घर लौट जाते हैं. इस राजकीय जूनियर हाई स्कूल को 59 साल पहले खोला गया था. क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षा से जोड़कर उनके विकास को ध्यान में रखकर उस समय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले गांव के स्व. कृष्ण कुमार सिंह ने राजकीय विद्यालय खोलने के लिए अपनी 6 बीघा जमीन दी थी. राजगढ़ एवं चुनार विधान सभा क्षेत्र से 1952 से 1980 के बीच कई बार विधायक रहे कृष्ण कुमार सिंह के चचेरे भाई राज नारायण सिंह के सहयोग से राजकीय जूनियर हाईस्कूल की 1963 में स्थापना हुई थी.
स्कूल के लिए दान की गई थी छह बीघा जमीनःराजकीय जूनियर हाईस्कूल कोलना लगभग 6 बीघे जमीन में बना है. इस विद्यालय से पढ़ाई करने वाली छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर और शिक्षक के पदों पर पहुंच गयीं है. वर्ष-2017 में विद्यालय की शिक्षिका रामश्वारी देवी के प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद किसी शिक्षक की तैनाती नहीं हुई. शिक्षक न होने के चलते छात्राओं ने भी स्कूल आना बंद कर दिया. फिर भी प्रतिदिन विद्यालय खुलता है और साफ सफाई भी होती है. इसकी जिम्मेदारी स्कूल में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामचंद्र दीक्षित और शकीला के पास है. छह वर्षों से दोनों नियमित विद्यालय आते हैं. भवन और परिसर की साफ-सफाई करने के बाद दोनों दिन भर ड्यूटी करने के बाद शाम को घर वापस लौट जाते है.