लखनऊ :जरा सोचिए कि कभी आपको पता चले कि आप सड़क किनारे जिस शख्स से सब्जी खरीद हैं वो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी है तो आप कैसा महसूस करेंगे. क्या कभी किसी ने इसकी कल्पना की होगी कि कोई आईएएस कभी सड़क पर सब्जी बेचते मिलेगा. लेकिन यूपी के एक आईएएस की ऐसी ही तस्वीरें इस वक्त सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों में आईएएस सब्जी बेचते हुए नज़र आ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसर अखिलेश मिश्रा सब्जी बेचते हुए नजर आए हैं. उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है. आईएएस ने इन तस्वीरों की हकीकत बताते हुए कहा कि मित्रों ने हंसी मजाक में यक तस्वीर मोबाइल से खींची थी. इसके पीछे उनकी कोई और मंशा नहीं थी. अखिलेश मिश्रा ने कहा कि सरकार की छवि खराब करने का उनका कोई इरादा नहीं था.
'टमाटर ₹20 किलो, छांट लो'
बता दें कि IAS अखिलेश मिश्रा इन दिनों ट्रांसपोर्ट विभाग में विशेष सचिव हैं. पिछले दिनों उन्होंने सब्जी बेचते फेसबुक पर अपनी कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं. दुकान पर सब्जी बेचते अखिलेश मिश्रा ने फेसबुक पर फोटो डालकर कैप्शन भी लिखा है '..टमाटर ₹20 किलो, छांट लो'.
इसके बाद ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं. इसी बीच उन्हें अपनी इस भूल का अंदाजा हुआ और फेसबुक पोस्ट से उन्होंने अपनी सभी तस्वीरों को डिलीट कर दिया. हालांकि जब तक ये तस्वीरें उनकी फेसबुक पोस्ट से डिलीट होतीं, तब तक यह वायरल हो गईं. अब आईएएस अफसर फोन पर जवाब देते परेशान हैं. IAS अखिलेश मिश्रा ने सब्जी बेचते हुए फोटो पर अपनी सफाई भी पेश कर दी है.
ETV भारत को बताई हकीकत
विशेष सचिव अखिलेश मिश्रा ने ईटीवी भारत से कहा, 'मैं कल सरकारी कार्य से प्रयागराज गया था. वापस आते समय एक स्थान पर सब्ज़ी देखने के लिए रुक गया. सब्ज़ी विक्रेता एक वृद्ध महिला थी जिसने मुझसे अनुरोध किया कि मैं उसकी सब्ज़ी पर नज़र रखूं. वो एक पल में आती है. सम्भवतः उसका बच्चा दूर चला गया था. मैं यूं ही उसकी दुकान पर बैठ गया. इस बीच कई ग्राहक और वो सब्ज़ी विक्रेता महिला आ गई.
उसी दौरान मेरे एक परम मित्र ने फ़ोटो खींची. मज़ाक़ में मेरे ही फ़ोन से फ़ेसबुक पोस्ट बना दी और रात में पोस्ट कर दी. जब मैंने स्वयं आज देखा तो फौरन ही उसे हटा दिया'. बता दें कि अखिलेश मिश्रा काफी जीवट व्यक्ति हैं. यही वजह है कि आम लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं का समाधान करने में काफी सक्रिय रहते हैं. वे साहित्यक और समसामयिक परिचर्चाओं में भी शामिल होते रहते हैं.
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