हैदराबाद:यूपी एटीएस (UP ATS) द्वारा रोहिंग्या (Rohingya) कनेक्शन वाले मानव तस्करी के एक बड़े रैकेट का खुलासा करके बुधवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. घटना के बाद से एक बार फिर से मानव तस्करी (Human Trafficking) का घिनौना खेल चर्चा में आ गया है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक स्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कोरोना महामारी के दौरान मानव तस्करों (human traffickers) ने सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों को अपना लिया है.
विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और प्रवासियों के शोषण के मार्गों के रूप में उभर रहे हैं, जो कमजोर और सबसे अधिक जोखिम में हैं. क्या है ये पूरा रैकेट और कैसा करता है काम आइए जानते है इसके सभी पहलुओं को...
पहले जानते हैं कि मानव तस्करी क्या है. तो इस सवाल का जवाब है कि मानव तस्करी सबसे नवीनतम प्रकार का अपराध है. यह आधुनिक प्रकार का अपराध देश के लगभग हर हिस्से में बहुत तेजी से अपने पंख फैला रहा है. इस लेख में हमने इस अपराध की परिभाषा और विश्व में तेजी से इसके प्रसार के कारणों की बात करें तो इसमें जबरन वेश्यावृत्ति करवाना, बंधुआ मजदूरी, जबरदस्ती भीख मांगवाना, जबरन क्राइम की वारदातों को अंजाम दिलवाना, जबरन शादी, जबरन अंग निकालना (जैसे किडनी, आँख, खून इत्यादि), जबरदस्ती नशीली दवाओं की तस्करी शामिल हैं. ये मानव तस्कर सारी समस्याओं की मुख्य वजह लोगों की कमजोर आर्थिक स्थिति यानी गरीबी का फायदा उठाते हैं.
मानव तस्करी के लिए कुख्यात देश के शीर्ष पांच राज्य
- पश्चिम बंगाल में 2016 में मानव तस्करी के 3579 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 172 मामले दर्ज हुए.
- महाराष्ट्र में 2016 में मानव तस्करी के 517 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 311 मामले दर्ज किए गए.
- राजस्थान में 2016 में मानव तस्करी के 1422 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 86 मामले दर्ज किए गए.
- तेलंगाना में 2016 में मानव तस्करी के 229 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 242 मामले दर्ज किए गए.
- आंध्र प्रदेश में 2016 में मानव तस्करी के 239 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 240 मामले दर्ज किए गए.
जानें बिहार की जबरिया शादी की प्रथा के बारे में
बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह रोकने के लिए शादी याेग्य युवकों का अपहरण कर उनकी शादी जबरन करा दी जाती है. डरा-धमका कर या बंदूक की नोंक पर होने वाली ऐसी शादियां बिहार में वर्षों से होती आ रही हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2017 में 3405 युवकों की जबरन शादी करा दी गई.
एनसीआरबी की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार 18 साल के ज्यादा उम्र के लड़कों के अपहरण के मामले में देश में अव्वल है. राज्य में 2015 में 18 से 30 साल की उम्र के 1,096 युवकों को अगवा किया गया था. देश में इस आयु वर्ग के लड़कोंं के अपहरण का यह 17 फीसद है.
तीन सालों में इतने अपहरण
साल अपहरण