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यूपी विधानसभा चुनाव, वोट शेयर में सपा ने लगाई छलांग, बीएसपी के वोटर खिसके

यूपी विधानसभा चुनाव में भले ही समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आई, मगर 2017 के मुकाबले पार्टी ने वोट शेयर में लंबी छलांग लगाई है जबकि बीएसपी के वोटर सपा-बीजेपी की ओर शिफ्ट हुए हैं. वोटरों ने कितना दिया यूपी के सत्ता दावेदारों का साथ, पढ़ें रिपोर्ट

UP assembly result 2022
UP assembly result 2022

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Published : Mar 12, 2022, 3:05 PM IST

नई दिल्ली : यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटें हासिल कर 37 साल बाद इतिहास लिख दिया. उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ दोबारा शपथ ग्रहण की तैयारी कर रहे हैं. इन चुनावों में भाजपा और समाजवादी पार्टी दो ऐसे दल रहे, जिनके वोट प्रतिशत में 2017 के मुकाबले बढ़ोतरी हुई. इस चुनाव में सपा को 32.06 प्रतिशत यानी 2 करोड़ 95 लाख 43 हजार 934 वोट मिले. पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 21.8 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी के खाते में 41.29 प्रतिशत वोट आया और उसे 3 करोड़ 80 लाख 51 हजार 721 वोट मिले. 2017 में बीजेपी को 39.7 फीसदी वोट मिले थे.

यूपी विधानसभा चुनाव में सपा को 111 और उसके गठबंधन को 125 सीटें मिली हैं.

भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में 255 सीटें मिलीं, जबकि उसके गठबंधन में शामिल अपना दल (एस) को 12 और निषाद पार्टी को 6 सीटें मिलीं. समाजवादी पार्टी ने भी अपनी सीटें ढाई गुनी कर ली. उसके गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोकदल ने 8 और सुभासपा ने 6 सीटें जीतीं. सपा को अपने खाते से 111 सीटें आईं. इस चुनाव में अखिलेश यादव ने जिस तरह से जातीय समीकरण साधे थे, उसका फायदा समाजवादी पार्टी को ज्यादा नहीं मिला.

2007 में बहुमत से सरकार बनाने वाली बीएसपी एक सीट पर सिमट कर रह गई. बीएसपी के वोट शेयर में भी भारी गिरावट आई है. 2017 में बीएसपी का वोट शेयर 22 फ़ीसदी था, जो इस बार कम होकर 12.8 प्रतिशत हो गया है. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 1 करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 मत मिले. पार्टी को केवल रसड़ा विधानसभा सीट से जीत मिली है. यहां से जीतने वाले उम्मीदवार उमाशंकर सिंह ने अपने बलबूते चुनाव जीता है. माना जा रहा है कि बीएसपी के परंपरागत मुस्लिम वोटर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर शिफ्ट हो गए, जबकि उनके दलित वोट बैंक ने बीजेपी का रुख कर लिया.

यूपी में सात चरणों में वोटिंग हुई. चुनाव परिणामों के अनुसार, बीजेपी ने पांचवें दौर में ही बहुमत हासिल कर लिया था. भाजपा के नेता आखिरी दौर तक मशक्कत करते रहे. सातवें दौर में बनारस समेत पूर्वांचल के कई जिलों में वोटिंग हुई, जिसमें सपा और बीजेपी गठबंधन में बराबर की टक्कर हुई.

असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने 100 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से 99 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. एआईएमआईएम को 0.49 फीसदी यानी 347192 वोट मिले. चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम मतदाता असदुद्दीन ओवैसी के बातों से सहमत तो दिखे मगर बीजेपी विरोध के कारण सबसे मजबूत विपक्ष समाजवादी पार्टी को वोट किया. आम आदमी पार्टी की हालत भी यूपी में पतली ही रही. उसे 0.38 प्रतिशत मत मिले. आप के उम्मीदवार न तो चुनाव प्रचार में दिखे और न ही नतीजों में. कम्युनिस्ट पार्टियों को भी यूपी में खास हासिल नहीं हुआ. सीपीआई को 0.07प्रतिशत, सीपीआई-एम को 0.01 प्रतिशत और सीपीआई एमएल-लिबरेशन को 0.01प्रतिशत मत मिले.

आरएलडी को 8 सीटें मिलीं और उसे 26 लाख 30 हजार 168 वोट यानी 2.85 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिलीं और उसे 2.33 प्रतिशत वोट मिले. कांग्रेस को 21लाख 51 हजार 234 वोट मिले. इस चुनाव में 6 लाख 77 हजार 304 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. यह कुल डाले गए वोटों का 0.69 प्रतिशत रहा. अन्य दलों में अपना दल एस, निषाद पार्टी, सुभासपा, जनता दल लोकत्रांतिक, अपना दल-के समेत शामिल है. अन्य दलों को 6.74 प्रतिशत वोट मिले.

इस चुनाव में जीत के बाद बीजेपी को कई तात्कालिक फायदा होना भी तय है. राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट की जीत सुनिश्चित हो गई है. यूपी से चार जुलाई को 11 राज्यसभा की सीटें खाली होंगी. भाजपा अपने सदस्यों की बदौलत 8 सीटें जीत सकती है.

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