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क्या भगवान परशुराम की पूजा से समाजवादी पार्टी मिलेगा यूपी चुनाव में ब्राह्मण वोट ?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में ब्राह्मण वोट किस पार्टी को मिलेगा? ब्राह्मणों के मूड के बारे में आकलन करने में चुनावी पंडित जुटे हैं. हर पार्टी ब्राह्मणों को रिझाने के लिए अपने-अपने तरीकों से संपर्क साध रही है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को लखनऊ में गोसाईगंज स्थित महुराकलां गांव में नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना की थी. इसके बाद से ब्राह्मण वोट को लेकर कयासबाजी और बढ़ गई. सवाल यह है कि क्या भगवान परशुराम की पूजा करने से समाजवादी पार्टी को फायदा मिलेगा? ईटीवी भारत से बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र ने इससे जुड़े पहलू पर अपनी राय रखी.

UP Assembly Elections 2022
UP Assembly Elections 2022

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Published : Jan 3, 2022, 8:27 PM IST

लखनऊ: उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा के अब गिने-चुने दिन बचे हैं. सभी राजनीतिक दल जातियों में बंटे वोटर के बीच संतुलन साधने में जुटे हैं. इस चुनाव की खासियत यह है कि उत्तरप्रदेश में हर जाति के लोगों को वोट बैंक के नजरिये से देखा जा रहा है. पहले ब्राह्मण वोटर वोट बैंक वाले कैटिगरी में शामिल नहीं थे. पॉलिटिकल एक्सपर्ट योगेश मिश्र का कहना है कि इस बार ब्राह्मण किसी भी राजनीतिक दल को यूपी की सत्ता तक पहुंचाने के लिए निर्णायक मतदान करेंगे. ऐसा वह पहले 2007 में कर चुके हैं, जब ब्राह्मणों के वोट की बदौलत बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी.

लखनऊ में गोसाईगंज में नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में अखिलेश यादव की पूजा अर्चना का ब्राह्मण वोटों पर कितना प्रभाव होगा ? इसके जवाब में योगेश मिश्र का कहना है कि समाजवादी पार्टी को फायदा तो मिलेगा. भगवान परशुराम ब्राह्मणों के अराध्य होने के साथ ब्राह्मण समुदाय के प्रतीक पुरुष भी हैं. मगर इसमें एक एंगल और भी है. यह निर्णय राजनीतिक दलों के टिकट बंटवारे से भी तय होगा. जिस दल में ब्राह्मण समुदाय को ज्यादा टिकट मिलेगा, उसे इस समुदाय के वोट मिलने की संभावना उतनी ही रहेगी.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट योगेश मिश्रा

योगेश मिश्र ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ब्राह्मण तय करेंगे कि किसकी सरकार बनेगी. अखिलेश यादव की सरकार बनेगी या भारतीय जनता पार्टी की. इससे पहले ब्राह्मणों ने मायावती की सरकार बनाकर साबित किया था कि वो किंग मेकर हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि ब्राह्मण खुद को किंग मेकर साबित करने में जुटे हुए हैं. सभी पार्टी अपने-अपने स्तर पर ब्राह्मण समाज को लुभाने में जुटी हुई हैं.
उत्तर प्रदेश में कम से कम 12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता है और लोकसभा की 20 सीटें ब्राह्मणों के प्रभाव वाली मानी जाती हैं. ये सीट्स ब्राह्मणों के बिना नहीं जीती जा सकती हैं. विधानसभा चुनावों में भी ब्राह्मण मतों की संख्या बहुत है. 50 हजार से अधिक संख्या वाली 89 विधानसभा सीटें हैं. इसीलिए सभी राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं.

राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि इस चुनाव में अखिलेश यादव जो कर रहे, उससे लग रहा है कि ब्राह्मण समाज उनके करीब आ रहा है. परंतु ब्राह्मण भी अंत तक वेट एंड वॉच करेगा और इसका श्रेय लेगा कि वह जिसके साथ जाएगा, उसी की सरकार बनेगी. पहले के चुनावों में ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता एक साथ मतदान करते रहे हैं.

इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के बाद सवर्ण वोट में बंटवारा हो गया है. इस बार ब्राह्मण और ठाकुर एक मत होकर वोटिंग करेंगे, इसकी संभावना नहीं है. इसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को होता हुआ दिख रहा है. आने वाले समय में वह ब्राह्मण समाज को कितना सम्मान और टिकट देते हैं, उस पर भी हार जीत तय होगी.

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