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up assembly election : भाजपा में भागमभाग की आशंका को खत्म करने की कवायद, टिकट बंटवारे के लिए सोशल इंजीनियरिंग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (up assembly election) से पहले पार्टियों के बीच टिकट बंटवारे पर खूब माथापच्ची हो रही है. एक ओर जहां कांग्रेस और सपा-रालोद ने कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दी है, तो दूसरी ओर भाजपा टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेती दिख रही है. भारतीय जनता पार्टी की पहली लिस्ट संभवत शनिवार को जारी होगी. हालांकि, केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के फौरन बाद पार्टी ने सूची को सार्वजनिक नहीं किया है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा के आला नेताओं के बीच मंथन का दौर जारी है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति

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Published : Jan 14, 2022, 10:38 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी की पहली लिस्ट संभवत शनिवार को जारी होगी. इस लिस्ट में पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है. पार्टी इस बात पर भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है कि लिस्ट आने के बाद बागी नेताओं की संख्या और न बढ़े. यही वजह है कि केंद्रीय चुनाव समिति की कई दौर की बैठकों के बाद भी भाजपा उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक नहीं हुई है. एक के बाद एक कई विधायकों के इस्तीफे के बीच अंदरखाने से मिले संकेत के मुताबिक शीर्ष भाजपा में आला नेताओं में के बीच टिकट बंटवारे पर मंथन जारी है.

भारतीय जनता पार्टी की पहली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पहले दो चरणों के चुनाव की सीटों पर चर्चा हो चुकी है. पार्टी की सूची सार्वजनिक होने का इंतजार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग पर पूरा ध्यान रखते हुए जातिगत समीकरण के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश की है.

जानकारी देतीं ईटीवी भारत संवाददाता

सूत्रों की मानें तो पहली लिस्ट में भी उन विधायकों के टिकट तो काटे जा रहे हैं जिन्हें लेकर लोगों में नाराजगी है. ऐसे लोगों के भी टिकट काटे गए हैं, जिनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर कराए गए सर्वे में रिपोर्ट अच्छी नहीं आई है. दरअसल, बड़ी संख्या में विधायक और मंत्रियों के पार्टी छोड़कर जाने की वजह से अब पार्टी फूंक कर कदम रख रही है.

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी से लगभग 14 नेताओं के इस्तीफे हो चुके हैं और इसमें तीन कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं और ज्यादातर नेता समाजवादी पार्टी का दामन थाम रहे हैं. इससे कहीं ना कहीं पार्टी की छवि को नुकसान भी पहुंचा है. यही वजह है कि पहली लिस्ट में जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. ऐसा इसलिए किया गया है कि यदि लिस्ट आने के बाद कोई नेता बगावत करे तो उस पर इस समीकरण का हवाला दिया जा सके.

सूत्रों के मुताबिक पहली लिस्ट में पार्टी 172 लोगों की सूची लाने वाली थी लेकिन अब अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक खबरें यह भी आ रही है कि कुछ सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा अभी रोकी जा सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा पहली लिस्ट में लगभग 150 उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है. सूत्रों की मानें तो पहली लिस्ट में 22 ओबीसी उम्मीदवार, 8 एससी उम्मीदवार, 21 फॉरवर्ड क्लास, 11 जाट समुदाय, 5 गुर्जर, 7ब्राह्मण और 9 राजपूत उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से चुनाव लड़ना लगभग तय हो चुका है, केशव मौर्य कौशांबी की सिराथू सीट से और दिनेश शर्मा को लखनऊ से पार्टी प्रत्याशी बना सकती है.

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सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी नेताओं के लगातार हो रहे इस्तीफे को लेकर सामंजस्य बिठाने के मकसद से ही 22 ओबीसी उम्मीदवारों को पहली लिस्ट में जगह दी है. साथ ही साथ इस समुदाय को प्रभावित करने के लिए सामाजिक संपर्क अभियान की भी शुरुआत की गई है. वहीं कुछ नाम जो निकल कर सामने आ रहे हैं उसमें मथुरा से श्रीकांत शर्मा, नोएडा से पंकज सिंह, गाजियाबाद से अतुल गर्ग, मोदीनगर से डॉक्टर मंजू, मुरादनगर से अजीत पाल त्यागी, लोनी से नंदकिशोर गुर्जर को दोबारा पार्टी का उम्मीदवार बना रही है.

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सूत्रों का कहना है कि गढ़मुक्तेश्वर से बीजेपी ने विधायक कमल सिंह मलिक का टिकट काटकर हरेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. आगरा की खैरागढ़ विधानसभा से भी बीजेपी विधायक महेश गोयल का टिकट काटकर पार्टी ने भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा सूत्रों ने बताया है कि पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान की पत्नी जो नौगांवा सादात से विधायक है, उन्हें भी इस बार टिकट नहीं दिया जा रहा है.

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