दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कन्नौज से भाजपा उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस असीम अरुण बोले, 'मैं जैसा हूं, वैसा ही रहूंगा' - कन्नौज से बीजेपी के उम्मीदवार

1994 बैच के आइपीएस अधिकारी असीम अरुण (ex IPS officer Asim Arun) ने हाल ही में नौकरी से इस्तीफा दिया और अब कन्नौज से बीजेपी के उम्मीदवार (asim arun bjp kannauj candidate) हैं. असीम अरुण को राष्ट्रपति द्वारा अवार्ड से भी नवाजा गया था. पुलिस के इतने बड़े अधिकारी ने खाकी उतारकर खादी क्यों पहनी और अखिलेश यादव के सवालों के उनके पास क्या हैं जवाब, इन तमाम मुद्दों पर असीम अरुण ने ईटीवी संवाददाता अनामिका रत्ना से बात की.

asim arun bjp leader
असीम अरुण इंटरव्यू

By

Published : Jan 24, 2022, 6:02 PM IST

नई दिल्ली :उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (up assembly election) के मद्देनजर सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के प्रयास में जुटी हैं. इसके अलावा यूपी में कैंडिडेट को टिकट देने के पहले संबंधित विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण, मतदाताओं के बीच चुनावी मुद्दे समेत कई अन्य फैक्टर्स पर भी मंथन हो रहा है. भाजपा यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 150 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. कई दिग्गजों का पत्ता साफ हो गया, तो कुछ सरप्राइज भी सामने आए हैं. चुनाव आयोग की पाबंदियों के मद्देनजर सभी नेता अपने स्तर से प्रचार में भी जुटे हैं.

चुनावी सीजन में दलबदलू नेताओं के अलावा कई हाईप्रोफाइल लोग भी सियासी दलों के साथ जुड़ रहे हैं. इसी कड़ी में कानपुर में पदस्थापित रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने भाजपा ज्वाइन की (ex IPS officer Asim Arun) है. असीम अरुण को भाजपा ने कन्नौज विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी बना दिया है. ईटीवी भारत ने असीम अरुण से चुनाव में उनकी रणनीति समेत कई सियासी मुद्दों पर विस्तार से बात की. पढ़ें असीम अरुण के इंटरव्यू का मुख्य अंश.

सवाल- आप पुलिस के आला अफसर थे, राजनीति में क्यों आए ?

असीम अरुण- किसी राजनीतिक पार्टी से निकटता मेरे एजेंडे में कभी रही ही नहीं और मैं पूरी शिद्दत के साथ पुलिस का काम कर रहा था, लेकिन जब यह सुझाव मेरे सामने आया कि मैं राजनीति में बेहतर कर सकता हूं, तो मैंने इस पर गंभीरता से विचार किया. मुझे लगा कि जो इमानदारी, शिष्टाचार और सबको साथ लेकर चलना मैं पुलिस में कर रहा हूं, जन सेवा में आने से मैं इस कैनवस को और विकसित कर सकता हूं. मैं अपने कन्नौज के लिए लगातार अगले 30 साल ऐसे काम करना चाहता हूं जिससे कि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो.

सवाल- कन्नौज बहुत चर्चा में है. जैसे ही आपने बीजेपी का दामन थामा, तमाम पार्टियों की प्रतिक्रिया आई. अखिलेश यादव ने तो चुनाव आयोग से मांग कर दी कि आपके साथ जितने भी अधिकारी जुड़े हैं उन सभी को हटाया जाए और कार्रवाई की जाए.

असीम अरुण- जहां तक सवाल कन्नौज का है जो वहां भारी मात्रा में गोल्ड और कैश रिकवरी की गई है, यह स्पष्ट है कि किस तरह से भ्रष्टाचार किया जा रहा था. कुछ राजनीतिक पार्टियां,उसे हवा दे रही थीं, मुझे लगता है कि यह हमारे केंद्रीय एजेंसियों की बहुत बड़ी सफलता है और बहुत अच्छी कार्रवाई है. मैं कानपुर में पदस्थापित था वहां भी कुछ रिकवरी हुई है. मैंने भ्रष्टाचार के लिए हमेशा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और मुझे इस बात का गर्व है कि जब मैं साल 2011-12 में आगरा में था तो मैंने बहुत ही मजबूत एंटी करप्शन अभियान चलाया था. उस समय अन्ना जी का आंदोलन भी चल रहा था. उससे मैं काफी प्रभावित हुआ था. अब आने वाले समय में यदि मुझे अवसर मिला तो मैं अपने जीवन में ईमानदारी और शुचिता को हमेशा बनाकर रखूंगा.

सवाल- हमेशा से यह बात आती है कि राजनीति में पढ़े-लिखे लोगों को आना चाहिए, लेकिन जब पढ़े-लिखे लोग आते हैं तो उन पर सवाल क्यों उठाए जाते हैं?

असीम अरुण- राजनीति में मुझसे भी बहुत ज्यादा पढ़े लिखे लोग होंगे, लेकिन ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं, जिनकी औपचारिक शिक्षा बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन उनके पास भरपूर जमीनी ज्ञान है. मैं इसका सम्मान करता हूं. लेकिन मेरा मानना है कि राजनीति में विविधता आनी चाहिए. मेरे जैसे विविध बैकग्राउंड के लोग भी आने चाहिए. मेरे बैचमेट और मित्र हैं अश्विनी वैष्णव, जो रेल मंत्री हैं. उनके अनुभव का लाभ मुझे भी मिल रहा है. इसलिए, ना मैं पहला हूं और ना ही मैं आखिरी हूं जो सिविल सेवा के बाद राजनीति में आए हैं.

1994 बैच के आइपीएस अधिकारी असीम अरुण से विशेष बातचीत

सवाल- आप राजनीति में एक नए स्टूडेंट होते हुए भी परिपक्व नेता के तौर पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. लोगों की भीड़ भी जुट रही है. लेकिन, आपकी सीट काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि काफी समय से वहां पर समाजवादी पार्टी के नेता ही चुनते आ रहे हैं. ऐसे में आप कौन सी बात करेंगे ताकि लोग आपको वोट करें ?

असीम अरुण- अभी मुझे राजनीति में आए हुए आठ 10 दिन ही हुए हैं. मेरे एक मित्र ने मुझे सलाह दी कि 'बी योरसेल्फ'. अपने आप को बदलने की कोशिश ना करना और मैं उस बात को फॉलो कर रहा हूं. मैं जो हूं, जैसा हूं, मुझे उसी प्रकार अपने आपको सबके सामने रखना चाहिए. किसी की नकल नहीं करनी चाहिए. मेरे जीवन में कुछ बदलाव जरूर आए हैं, लेकिन सामाजिक सरोकार के लिए काम करने में मेरे अंदर कोई परिवर्तन नहीं आएगा. दो आधार पर वोट मांगे जा रहे हैं. एक- सीएम योगी के कार्यकाल में कायम की गई मजबूत कानून व्यवस्था, दूसरा- विकास के मॉडल का जमीन पर उतारा जाना. मुझे एक सज्जन अभी मिले जिन्हें कैंसर जैसी बीमारी हुई और लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन आयुष्मान योजना के तहत उन्हें तमाम सहायता मिली. इसलिए ऐसा लगता है कि हमारी सरकार ने पिछले 5 सालों में बहुत अच्छा काम किया.

सवाल- विपक्ष उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहा है. एनसीआरबी के डेटा का हवाला दिया जा रहा है.

असीम अरुण- यदि हम क्राइम रिकॉर्ड का डेटा देखें तो उसके अनुसार भी क्राइम में भारी गिरावट हुई है. हालांकि, दर्ज कराए गए मुकदमों की संख्या बढ़ी है. यानी केस दर्ज करने में अब कोई रोक-टोक नहीं है. पति-पत्नी या व्यक्तिगत झगड़े के कई प्रकरण हैं, उसमें ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. हत्या, लूट, राहजनी जैसे अपराधों में काफी कमी हुई है. सड़कों पर होने वाले क्राइम में काफी कमी आई है. व्यक्तिगत क्राइम, परिवार के अंदर हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं, इसलिए उनकी संख्या बढ़ी मिलेगी.

सवाल-आपने अलग-अलग पार्टी की सरकारों के कार्यकाल में पुलिस विभाग में काम किया है. क्या किसी सरकार के अंदर कोई दबाव महसूस हुआ कि अपराधियों को बचाना है या अपराधों का पंजीकरण नहीं करना ?

असीम अरुण- मैं इसके विपरीत बात कहना चाहूंगा. पिछले 5 वर्ष में जितना अच्छा माहौल रहा पुलिस अधिकारियों को काम करने के लिए, इतना अच्छा माहौल कभी नहीं मिला. मैं इस अवधि में तीन महत्वपूर्ण पदों पर रहा; एटीएस का चीफ रहा, डायल 112 का अधिकारी रहा और कानपुर नगर का पुलिस कमिश्नर रहा. मैं यह बता सकता हूं कि मेरे पास कभी भी ऊपर से लेकर नीचे तक सरकार के किसी पदाधिकारी का कोई संदेश नहीं आया कि किसी की गलत मदद करनी है या किसी को बचाना है. किसी भी सरकारी अधिकारी से आप पूछेंगे तो यही पाएंगे.

सवाल- तो क्या पहले की सरकारों में इस तरह के दबाव थे ?

असीम अरुण- निश्चित रूप से ऐसे दबाव थे. कानून व्यवस्था बिल्कुल खराब थी, आप रिकॉर्ड निकालकर देखें कि कितनी बार अपराधियों को छोड़ा गया और अपराधियों को छोड़े जाने की वजह से घटनाएं हुई. तो ऐसे मामले सबके सामने हैं. इसमें मुझे कुछ विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है और सबसे बड़ी बात है कि आज लोक व्यवस्था, कानून व्यवस्था मजबूत है. मैं जहां का रहने वाला हूं- खैरनगर, वहां से तिर्वा कुछ दूरी पर पड़ता है. शाम को 7:00 बजे के बाद कोई भी वहां जाने को तैयार नहीं होता था. मगर आज पूरी रात ट्रैफिक चल रही है, लोग आराम से आते-जाते हैं. अब ऐसी चीजें आंकड़ों में नहीं आ सकतीं.

सवाल- हाल में जो आयकर विभाग के छापे पड़े. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि यह बदले की कार्रवाई है ?

असीम अरुण- अगर किसी के पास सैकड़ों करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति पाई जाए और उस पर कार्रवाई की जाए, तो सीधी सी बात है कि कानून का राज स्थापित किया जा रहा है. अपराध पर नकेल कसे जाने से यदि किसी को ऐसा लग रहा है कि उनका उत्पीड़न हो रहा है तो यह बड़े अचंभे की बात है.

सवाल- स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद कई नेता समाजवादी पार्टी में गए और कई भाजपा से भी सपा में आए, लेकिन यह बातें निकल कर आ रही है कि पिछड़े नेता दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं. क्या पिछड़ों की राजनीति में भाजपा पिछड़ रही है ?

असीम अरुण- ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. आज हमारा वोटर हमारा नागरिक बहुत परिपक्व है. वह स्वतंत्र निर्णय लेता है. नेताओं के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि कानून व्यवस्था और विकास के जो बड़े काम हुए हैं, वोट इसी पर पड़ेंगे.

सवाल- असीम अरुण को लोग भविष्य में पिछड़े वर्ग के एक बड़े चेहरे के तौर पर भी देख रहे हैं इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है.

असीम अरुण- मेरे पिता ने भी अपने क्षेत्र के लिए काफी काम किया. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं सेवा में रहते हुए इतना बड़ा दायित्व नहीं निभा पाऊंगा. इसीलिए मैं अपने आप को इसी रूप में देखता हूं कि किस प्रकार समस्याओं का हल किया.

सवाल- काशी विश्वनाथ और मथुरा की बातें हो रही है. क्या पार्टी की तरफ से पोलराइजेशन की कोशिश की जा रही है ?

असीम अरुण- कुछ प्रश्न सम्मान और आस्था के भी होते हैं. भगवान राम का मंदिर बन रहा हो, उसमें सभी सहयोग करें तो इसमें किसी को क्या विरोध हो सकता है. यह तो सम्मान की बात है. अब अयोध्या को किस तरह से लाखों तीर्थयात्रियों के लिए सजाया जाए, एयरपोर्ट बनाया जाए कुछ अच्छा किया जाए, कोशिश हो रही है. इसी तरह काशी विश्वनाथ में जो परिवर्तन किए गए हैं, इसे राजनीति या पोलराइजेशन का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया जा रहा है, यह पर्यटन को भी बढ़ावा देगा.

सवाल-एक अधिकारी से नेता बनने में क्या दिक्कत आ रही है. क्या कभी आईने के सामने भाषण देने की प्रक्टिस करनी पड़ी ?

असीम अरुण- जी बिल्कुल. अभी मेरी बातचीत का स्टाइल भी एक पुलिसवाले की तरह ही है. मर्डर हुआ है, एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. कार्रवाई की जाएगी. मेरी भाषा अभी भी इसी तरह की है. एक नेता की भाषा दूसरी होती है. उसमें धीरे-धीरे परिवर्तन आएगा.

सवाल- अखिलेश यादव के स्वप्न में भगवान कृष्ण आ रहे हैं. वह कह रहे हैं कि सरकार उन्हीं की बनेगी.

असीम अरुण- यह तो उन्हें 10 मार्च को पता चल ही जाएगा. जो बातें निकल कर आ रही हैं और जितने भी सर्वे बता रहे हैं, वह इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि योगी सरकार से लोग 100 फीसद संतुष्ट हैं. धीरे-धीरे हमारी समस्याएं भी खत्म होंगी और हम विकसित देशों की तुलना में खड़े होंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए सुखद होंगे.

यूपी चुनाव से पहले भाजपा को स्वामी प्रसाद मौर्य का झटका, देखें इंटरव्यू

विधानसभा चुनावों पर अन्य नेताओं के इंटरव्यू-

ABOUT THE AUTHOR

...view details