लखनऊ :प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राम मंदिर कितना अहम है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि लगभग सभी राजनैतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश अयोध्या से ही किया है. उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने छह नवंबर 2019 को एक ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में कानूनी लड़ाई का केंद्र रही भूमि पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था.
विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ने के साथ अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है. भरतीय जनता पार्टी (BJP) हो, बहुजन समाज पार्टी (BSP) हो या फिर समाजवादी पार्टी (SP) हो, सभी पार्टियां अपने चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए अयोध्या को चुन रही हैं. यहां तक कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) और जनसत्ता लोकतांत्रिक दल जैसी पार्टियों ने भी अपने चुनावी समर की शुरुआत के लिए अयोध्या को ही चुना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था. उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लगातार राम नगरी आना-जाना रहा है. इससे जाहिर होता है कि भाजपा मंदिर मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश कर रही है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने पांच सितंबर से अपने प्रबुद्ध सम्मेलनों की श्रृंखला की शुरुआत के लिए अयोध्या को ही चुना.
प्रथम प्रबुद्ध सम्मेलन में भाजपा की उप्र इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने वर्ष 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संसद का घेराव कर रहे संतों पर और 1990 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार द्वारा अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए जाने का जिक्र कर यह संकेत दिया कि भाजपा अयोध्या के मुद्दे में अब भी अपनी चुनावी खेती के लिए खाद-पानी देख रही है.
पार्टी ने राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थियों के विसर्जन के लिए अयोध्या स्थित सरयू नदी को ही चुना. अब चुनाव नजदीक आने पर और अधिक संख्या में भाजपा नेताओं की अयोध्या में आवाजाही शुरू हो गई है. हालांकि पहले की ही तरह अब भी भाजपा अयोध्या और राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा मानने से इनकार कर रही है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि भगवान राम और उनका मंदिर हमारे लिए आस्था का विषय है और हमेशा रहेगा. हमने कभी इसे चुनावी मुद्दे के तौर पर नहीं देखा.
बसपा के लिए भी अयोध्या जरूरी
सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियां भी अयोध्या में अपनी चुनावी कामयाबी महसूस कर रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने गत 23 जुलाई को अयोध्या से ही अपने ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत की थी. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद प्रथम ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि सत्तारूढ़ भाजपा को पिछले तीन दशकों के दौरान राम मंदिर के नाम पर इकट्ठा किए गए चंदे का हिसाब देना चाहिए.
समाजवादी पार्टी की कवायद
समाजवादी पार्टी ने भी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अयोध्या को लॉन्चिंग पैड के तौर पर इस्तेमाल किया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने तीन सितंबर को अयोध्या में आयोजित खेत बचाओ, रोजगार बचाओ अभियान में हिस्सा लिया. अयोध्या से सपा के पूर्व विधायक तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने कहा कि तीन सितंबर को हुआ सपा का कार्यक्रम भाजपा की जनविरोधी, किसान विरोधी और गरीब विरोधी नीतियों के खिलाफ पार्टी का 2022 विधानसभा चुनाव का बिगुल है.