नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमेबाज पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि बेईमान मुकदमेबाजों को छूटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और अब समय आ गया है कि ऐसे मुकदमों की सख्ती से जांच की जाए जो छिपाव, झूठ और फोरम हंटिंग से जुड़े हों. वादी ने दिल्ली में वाणिज्यिक लेनदेन के कारण एक नागरिक विवाद में 'आवश्यक तथ्यों का खुलासा न करने वाली झूठी और तुच्छ शिकायत' के आधार पर उत्तर प्रदेश में एफआईआर दर्ज की थी.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा, 'वर्तमान मामले में हम गलत तथ्य प्रस्तुत करके और ऐसी शिकायतों पर विचार करने के लिए तुच्छ कारण देकर एक ऐसे मंच के समक्ष आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हुए पाते हैं, जिसका कोई क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार नहीं था. प्रतिवादी के कार्यों पर बारीकी से नजर डालने से क्षेत्राधिकार के अनुचित उपयोग से कहीं अधिक का पता चलता है.'
पीठ ने कहा कि बेईमान वादियों को लागत सहित सख्त नियम और शर्तें लगानी चाहिए. 'अब समय आ गया है कि शुरू की गई और छुपाने, झूठ बोलने और फोरम हंटिंग से जुड़ी मुकदमेबाजी को कठोरता से जांचा जाए.'
पीठ ने 11 जनवरी को दिए अपने फैसले में कहा, 'पीठ ने कहा कि विवाद का मुख्य मुद्दा, जिसमें वित्तीय लेनदेन और समझौते शामिल हैं, इसे स्पष्ट रूप से नागरिक और वाणिज्यिक कानून के दायरे में रखता है. फिर भी, प्रतिवादी ने सच्चे न्याय की तलाश के बजाय व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने के लिए आपराधिक आरोपों को आगे बढ़ाने का विकल्प चुना.'
पीठ ने कहा कि वह दूसरों को ऐसे कृत्यों से रोकने के लिए शिकायतकर्ता पर जुर्माना लगाने के लिए बाध्य है, जिससे न्यायिक उपायों का दुरुपयोग होता है. पीठ ने कहा कि 'विवाद की व्यावसायिक प्रकृति के बावजूद अपीलकर्ताओं के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत और एफआईआर दर्ज की गई. सत्ता और कानूनी मशीनरी के दुरुपयोग के ऐसे गलत इरादे वाले कृत्य न्यायिक कामकाज में जनता के विश्वास को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं.'
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही का स्पष्ट दुरुपयोग न केवल हमारी कानूनी प्रणाली में विश्वास को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह एक हानिकारक मिसाल भी कायम करता है.
दिल्ली स्थित कंपनी डी डी ग्लोबल के प्रमोटर गंभीर ने कंपनियों के प्रमोटर अपीलकर्ता दिनेश गुप्ता और राजेश गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के लिए उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में प्राथमिकी दर्ज की.