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10 दिनों में बदल गया यूएन, आतंकवाद को लेकर बयान से हटाया तालिबान का नाम

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Published : Aug 29, 2021, 5:18 PM IST

संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने UNSC के स्टेटमेंट की कॉपी को शेयर करते हुए लिखा कि महज कुछ ही दिनों में 'T' शब्द को हटा दिया गया है. इससे यही लगता है कि तालिबान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का नजरिया बदलने लगा है.

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हैदराबाद: तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. कब्जे के बाद तालिबान को लेकर दुनिया की राय में कोई तब्दीली आएगी या नहीं यह तो समय बताएगा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के एक बयान के बाद यह माना जाने लगा है कि इस संगठन को लेकर अब गंभीरता बरती जा रही है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े (Taliban Rules Afghanistan) को अभी दो हफ्ता भी नहीं हुआ है. वहीं तालिबान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का नजरिया बदलने लगा है. 16 अगस्त को जारी किए बयान में सुरक्षा परिषद ने चेतावनी देते हुए कहा था- न तालिबान को, न किसी अफगानी समूह को और न ही किसी व्यक्ति को किसी दूसरे देश के अंदर मौजूद आतंकियों का सहयोग करना चाहिए. लेकिन 27 अगस्त को UNSC की ओर से एक बयान जारी किया गया है जिसमें, तालिबान का नाम नहीं है.

अकबरुद्दीन ने किया बदलाव का ज़िक्र

इस बदलाव का सबसे पहले जिक्र संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने किया. उन्होंने UNSC के स्टेटमेंट की कॉपी को शेयर करते हुए लिखा कि महज कुछ ही दिनों में 'T' शब्द को हटा दिया गया है.

बता दें कि 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने UNSC की ओर से एक बयान जारी किया. इसमें लिखा था 'सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आंतकवाद से मुकाबला करने के महत्व का जिक्र किया है. ये सुनिश्चित किया जाए कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, और न ही तालिबान और न ही किसी अन्य अफगान समूह या व्यक्ति को किसी अन्य देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए.'

नए बयान में तालिबान का नाम नहीं

27 अगस्त को काबुल हवाईअड्डे पर हुए बम विस्फोटों के एक दिन बाद तिरुमूर्ति ने फिर से UNSC के अध्यक्ष के रूप में और परिषद की ओर से एक बयान जारी किया. 16 अगस्त को लिखे गए पैराग्राफ को फिर से दोहराया गया. लेकिन इसमें एक बदलाव करते हुए तालिबान का नाम हटा दिया गया. इसमें लिखा था- 'सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, और किसी भी अफगान समूह या व्यक्ति को किसी भी देश के क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादियों का समर्थन नहीं करना चाहिए.'

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