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असम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने दुर्लभ कछुए को दिया नया जीवन

असम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. सर्बनी गिरी ने एक दुर्लभ कछुए को बचाया है. विक्रेता कछुए का वध करने जा रहा था, तभी डॉ. गिरी की नजर कछुए पर पड़ी. उन्होंने फौरन कछुए को 4,000 रुपये में खरीद लिया और बाद में वन विभाग को सौंप दिया.

Indian peacock softshell turtle
इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल कछुआ

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Published : Nov 30, 2020, 7:10 PM IST

गुवाहाटी :सिलचर स्थित असम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने एक दुर्लभ कछुए को जीवन दान दिया है. यह कछुआ इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल (नगर कवच) कछुआ प्रजाति का है.

कछार वन क्षेत्र के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि असम विश्वविद्यालय के जीवन विज्ञान और जैव सूचना विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. सर्बनी गिरी ने सोमवार को बाजार में एक जीवित कछुए को देखा. विक्रेता कछुए का वध करने वाला था, तभी डॉ. गिरी ने कछुए को खरीदने की पेशकश की और विक्रेता से 4,000 रुपये में खरीद लिया.

बाद में उन्होंने वन अधिकारियों को सूचित किया और कछुए को वन विभाग को सौंप दिया. प्रोफेसर की सराहना करते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस प्रजाति की पहचान इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल (नगर कवच) कछुए (निल्सोनिया हुरम- Nilssonia Hurum) के रूप में हुई है.

बता दें कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल कछुए को आईयूसीएन रेड लिस्ट में दुर्लभ प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया है.

इस बीच, वन विभाग ने इस कछुए के बारे में मछुआरों में जागरुकता पैदा करने के लिए मत्स्य विभाग के साथ मिलकर टीम बनाने का फैसला किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटना से बचा जा सके.

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इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल कछुआ दक्षिण एशिया में पाए जाने वाले कछुए की एक प्रजाति है.

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