ग्वालियर। इस समय मध्य प्रदेश में कई महानगर वायु प्रदूषण की चपेट में है. जिसमें राजधानी भोपाल के बाद ग्वालियर शहर की हवा सबसे जहरीली है. शहर के वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर वैज्ञानिक से लेकर प्रशासनिक स्तर पर रणनीति बनाई जा रही है. इसी को लेकर ग्वालियर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की जा रही है. जीवाजी विश्वविद्यालय अब अपने स्टूडेंट को इंटर्नशिप कराएगा जिसके जरिए छात्र गांव-गांव और शहर के हर वार्ड में जायेंगे और यह बताएंगे कि देश के हर शहर में बिगड़ रही हवा कैसी साफ होगी.
भोपाल के बाद ग्वालियर की हवा सबसे जहरीली: पूरे मध्य प्रदेश में इस समय वायु प्रदूषण एक चिंता का विषय बन गया है. राजधानी भोपाल के साथ-साथ ग्वालियर, जबलपुर और सिंगरौली जिले में सबसे अधिक वायु प्रदूषण फैल रहा है. प्रदेश में ग्वालियर की हवा सबसे ज्यादा खराब है. यहां का AQI लेवल 345 दर्ज किया गया है. ग्वालियर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण धूल के कण हैं. यह धूल PM 10 का स्तर वायु प्रदूषण बनाने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. अभी हाल में ही आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट में भी यह खुलासा हुआ है कि PM 10 के बड़े स्तर में 90 फ़ीसदी योगदान सड़कों से उड़ने वाली धूल का है. यही कारण है कि बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिक से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी चिंतित हैं. ग्वालियर के अलावा भोपाल का AQI लेवर 280 और जबलपुर में 313 है तो वही इंदौर में 206 है.
जीवाजी विश्वविद्यालय छात्रों को कराएगा इंटर्नशिप: ग्वालियर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिक जिला प्रशासन के अधिकारी सहित विश्वविद्यालय और महाविद्यालय की प्रोफेसर के बीच एक बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में मौजूद विभिन्न विश्व विद्यालयों के कुलपतियों एवं अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा से कहा कि वायु प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छ भारत मिशन पर महाविद्यालयीन विद्यार्थियों का सहारा लिया जा सकता है. निर्णय हुआ है कि जीवाजी विश्व विद्यालय अपने छात्रों को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इंटर्नशिप कराएगा. इस इंटर्नशिप के जरिए जीवाजी विश्वविद्यालय छात्रों को सेमिनार और प्रोजेक्ट देगा. जिनको जिन्हें छात्रों को पूरा करना होगा और इसके बदले विश्वविद्यालय उन्हें अलग से अंक देगा.