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अमीरुद्दौला लाइब्रेरी में मौजूद है अनोखा गजट, 1972 से पहले के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के रिजल्ट मौजूद

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Published : May 6, 2023, 4:31 PM IST

राजधानी के कैसरबाग स्थित अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी में एक लाख 60 हजार से अधिक किताबें मौजूद हैं. जानिए यहां मौजूद गजट के बारे में...

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लखनऊ : प्रदेश के प्राचीनतम पुस्तकालयों में से एक अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी में ऐसे अनोखा गजट है जो आज भी लोगों के काम आ सकते हैं. यह लाइब्रेरी राजधानी के कैसरबाग में स्थित है. इस पुस्तकालय में एक लाख 60 हजार से अधिक किताबें मौजूद हैं, वहीं कुछ ऐसे गजट भी रखे हैं जिन का महत्व आज भी काफी अधिक है. इस पुस्तकालय में आजादी से पहले से लेकर 1972 तक के यूपी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के रिजल्ट मौजूद हैं. यह प्रदेश की अकेली ऐसी लाइब्रेरी है जहां पर 1972 से पहले के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट करने वालों के पास अगर मार्कशीट न हो तो गजट देखकर अपना हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का सर्टिफिकेट जारी करा सकते हैं.

अमीरुद्दौला लाइब्रेरी
अमीरुद्दौला लाइब्रेरी

पुस्तकालय पर कनिष्क लाइब्रेरियन रामकरण ने बताया कि 'इस पुस्तकालय में आजादी से पहले से लेकर 1972 तक के सभी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के यूपी बोर्ड परीक्षा के गजट मौजूद हैं. इस बजट में हर साल के परिणाम के साथ ही प्रदेश के उस समय के जितने भी जिले और वहां के विद्यालयों में कुल कितने विद्यार्थी पास हुए थे उनकी पूरी डिटेल इस गजट में दर्ज है. इस गजट में विद्यालय का नाम, अनुक्रमांक, विद्यार्थी का नाम व विद्यार्थी की डेट ऑफ बर्थ दर्ज है. इन सभी जानकारियों को अब स्मार्ट सिटी के तहत ऑनलाइन भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गजट में सिर्फ रिजल्ट देखने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग आज भी आते हैं. उन्होंने बताया कि इस गजट की सबसे खास बात यह है कि इस गजट की सर्टिफाइड कॉपी को विद्यार्थी सरकारी दस्तावेज के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं. ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि 'महीने में एक दो लोग अपने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पूरे प्रदेश से आते रहते हैं.'

अमीरुद्दौला लाइब्रेरी में मौजूद है अनोखा गजट
अमीरुद्दौला लाइब्रेरी में मौजूद है अनोखा गजट

पुस्तकालय पर कनिष्क लाइब्रेरियन रामकरण ने बताया कि 'मौजूदा समय में कई सरकारी विभागों में डिग्री को लेकर कर्मचारियों में दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे में उनके लिए यह एक डिग्री प्राप्त करने का आसान माध्यम है. उन्होंने बताया कि इस गजट की प्रमाणित कॉपी के लिए ₹200 फीस जमा करनी होती है. इसके बाद पुस्तकालय अधीक्षक एक विशेष मोहर लगाकर सर्टिफाइड कॉपी जारी करता है. यह कॉपी कहीं भी सरकारी दस्तावेज के तौर पर प्रयोग में आ सकती है. विशेष तौर पर उन लोगों में इसकी ज्यादा मांग रहती है जो बुजुर्ग हो गए हैं और सरकारी नौकरी में रह चुके हैं. किसी कारणवश उनका सर्टिफिकेट खो गया है और पेंशन आदि में उनको दिक्कत आती है तो वह यहां आकर अपना सर्टिफिकेट उस समय का बनवा सकते हैं.'

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