लखनऊ: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में सभी राज्यों के उत्पादन निगमों को अपनी आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला हर महीने खरीदने का निर्देश दिया है. ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश ने 6% विदेशी कोयला खरीदा तो उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का जोरदार करंट लगेगा. अनुमान है कि उपभोक्ताओं की 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाएगी. वहीं, बिजली विभाग पर लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा. बता दें कि पिछली बार भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी कीमत पर विदेशी कोयला न खरीदने के निर्देश अधिकारियों को दे दिया. इसके बाद विदेशी कोयला खरीद नहीं हुई. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया गया था कि उस समय यूपी में विधानसभा चुनाव आने वाले थे. इसलिए सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का भार नहीं डालना चाहती थी. लेकिन इस बार चुनाव नहीं हैं. लिहाजा, योगी सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीद सकती है और उपभोक्ताओं की बिजली महंगी कर सकती है. हालांकि सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर से विदेशी कोयला खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.
देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पर उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली का भार झेलना पड़ता है. समय-समय पर बिजली कंपनियां बिजली दरें बढ़ाने के लिए कोशिश में भी लगी रहती हैं. हाल ही में वार्षिक राजस्व आवश्यकता का जो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल किया गया है उसमें भी घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही अन्य सभी तरह के उपभोक्ताओं पर 16 से 23% महंगी बिजली का भार डालने की तैयारी की गई है. इस तरह बिजली दर बढ़ाने का तो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से दिया गया है. दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जो मंशा है. उसके अनुसार अगर उत्तर प्रदेश ने महंगा विदेशी कोयला खरीदा तो महंगी बिजली दरों का और भी ज्यादा अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं को झेलना पड़ सकता है.
बताया जा रहा है विदेशी कोयला खरीदने पर ही तकरीबन ₹7500 का अतिरिक्त भार ऊर्जा विभाग पर आएगा. अगर ऐसा होता है तो हर उपभोक्ता पर 70 पैसे प्रति यूनिट की महंगी बिजली का भार पड़ेगा. विदेशी कोयला खरीदने को लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार आंकड़ों के साथ अपने तर्क प्रस्तुत कर रहा है, जिसके चलते विदेशी कोयला खरीद करना भी आसान नहीं होगा. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल काफी ज्यादा कोयला उत्पादन इकाइयों में मौजूद है. ऐसे में विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं की बिजली दरें महंगी करने की चाल नहीं चलनी चाहिए.