जयपुर:केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है की विधायक, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी दुखी हैं. विधायक इस बात को लेकर दुखी हैं कि मंत्री नहीं बन पाए मंत्री इसलिए दुखी हैं कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला या मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. वहीं, मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाए रखने की जद्दोजहद में दुखी हैं, लेकिन दुखों का समाधान आपके मन में है इसलिए जो है, उसमें खुश रहो.
राजस्थान विधानसभा में लोकतांत्रिक प्रणाली और जन अपेक्षा है सेमिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने यह बात कहीं. उन्होंने कहा कि यह बात राज्य विशेष के बजाय अपने जीवन के अनुभव के आधार पर कही है. यह भी कहा कि जब वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, तब भी उन्हें कोई भी ऐसा व्यक्ति या जनप्रतिनिधि नहीं मिला, जो दुखी ना हो. गडकरी ने इस दौरान हास्य कवि शरद जोशी की एक कविता का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कवि शरद जोशी अपनी कविता में कहते हैं 'जो राज्य के काम का नहीं था उसे दिल्ली भेज दिया गया, जो दिल्ली के काम का नहीं था उसे गवर्नर बना दिया गया और जो गवर्नर ना बन सका उसे एंबेसडर बना दिया गया'. गडकरी ने कहा मैं जीवन में हमेशा खुश रहता हूं लोग पूछते हैं तो मैं कहता हूं मुझे जो मिला है मैं उस में संतुष्ट हूं और उसी में इंजॉय करता हूं. दुखी वो रहता है, जो भविष्य की चिंता में अपने मौजूदा समय को भूल जाता है.
नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश का लोकतंत्र चार पिलर पर खड़ा है. जिसमें चौथा पिल्लर संसदीय लोकतंत्र का है और यदि यह मजबूत है तो लोकतंत्र भी मजबूत ही रहेगा. गडकरी ने कहा राजनीति सामाजिक वह आर्थिक परिवर्तन का उपक्रम है. लोकतंत्र के माध्यम से इसके जरिए समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को समृद्ध बनाने और उनके जीवन में सुधार करना लोकतंत्र का असली मकसद है. यही राजनीति का मकसद भी होना चाहिए, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि आजकल राजनीति का अर्थ केवल सत्ता कारक समझते हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में मत भिन्नता हो सकती है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. एक विचारधारा का दूसरी विचारधारा द्वारा सम्मान करना ही लोकतंत्र की आत्मा है.
चाल, चलन, व्यवहार पर लोकतंत्र का भविष्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारा चाल, चलन, व्यवहार और चरित्र कैसा है यह सब लोकतंत्र का भविष्य तय करता है. हम जितने अच्छे होंगे लोकतंत्र उतना ही मजबूत और अच्छा होगा. इसलिए जरूरी है कि हम अपनी विचारधारा के प्रति निष्ठावान रहें. क्योंकि उसी के आधार पर सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन करके मजबूत राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है.
केंद्र और राज्य का काम संविधान में स्पष्ट