नई दिल्ली : आमतौर पर हम बाजार में जब भी कोई वस्तु खरीदते हैं तो सबसे पहले उसकी रेटिंग्स देखते हैं.स्टार रेटिंग से पता चलता है कि कोई वस्तु कितनी बढ़िया या सुरक्षित है. इसी तरह कार कितनी सुरक्षित है ये भी उनकी रेटिंग से पता चलता है. सेफ्टी रेटिंग्स का इस्तेमाल कर कस्टमर्स आसानी से दूसरी कारों से इसकी तुलना कर सकते हैं. इसी सेफ्टी रेटिंग्स को और बेहतर बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (union minister nitin gadkari) ने मंगलवार को देश का पहला भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) पेश किया. इस प्रोग्राम के तहत अब देश की कारों पर अब ग्लोबल नहीं बल्कि देसी सेफ्टी रेटिंग होगी.
इसका मकसद 3.5 टन तक के मोटर वाहनों के सड़क सुरक्षा मानकों में सुधार करना है. सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि यह ऑटोमोबाइल उद्योग और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इससे वाहनों की सुरक्षा सुविधाओं में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) तंत्र को सभी हितधारकों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थित तरीके से तैयार किया गया है.
भारत का पहला दुर्घटना परीक्षण कार्यक्रम लॉन्च
गडकरी ने कहा कि देश दो चुनौतियों सड़क दुर्घटना और वायु प्रदूषण का सामना कर रहा है. भारत में हर साल करीब पांच लाख दुर्घटनाएं होती हैं और इन दुर्घटनाओं के कारण करीब 1.5 लाख लोगों की जान जाती है. कार्यक्रम के तहत, कार निर्माता स्वेच्छा से ऑटोमोटिव उद्योग मानक (एआईएस) 197 के अनुसार परीक्षण किए गए अपने वाहनों की पेशकश कर सकते हैं. देश में बनने वाली सभी पैसेंजर वेहिकल्स को नए सेफ्टी नियमों का पालन करना पड़ेगा. भारत एनसीएपी एक अक्टूबर 2023 से लागू किया जाएगा. इसे लागू होने से सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आने की संभावना है.
बता दें कि ग्लोबल एनसीएपी की तरह ही भारत एनसीएपी में भी कारों का क्रैश टेस्ट कर उन्हें कई स्टैंडर्ड पर रेटिंग दी जाएगी. साथ ही कार निर्माता कंपनी अपनी मर्जी से मोटर वाहन उद्योग मानक (AIS) 197 के तहत कारों की टेस्टिंग करवा सकते हैं. टेस्टिंग के बाद कारों को एडल्ट ऑक्यूपेंट (AOP) और चाइल्ड ऑक्यूपेंट (COP) सेफ्टी के लिए स्टार रेटिंग मिलेगी. अभी तक कार की सेफ्टी टेस्ट ग्लोबल टेस्टिंग पर निर्भर थी, लेकिन भारत एनसीएपी के आने से देश में बनने वाली कारों की टेस्टिंग भी यहीं हो पाएगी, जिसके बाद ग्लोबल लेवल पर भी भारतीय कारों की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है.
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