उत्तरकाशी (उत्तराखंड): केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी पहुंच गए हैं. जहां उन्होंने सिलक्यारा सुरंग में चल रहे राहत एवं बचाव कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया. साथ ही पूरे मामले की समीक्षा किया. उनके साथ मुख्य सचिव एसएस संधू भी मौजूद रहे.
गौर हो कि बीती 12 नवंबर की सुबह से उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों की जिंदगी कैद है. ऐसे में उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. आज हादसे का आठवां दिन है. वहीं, सिलक्यारा सुरंग हादसे को देखते हुए चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे में सेना की कंपनी तैनात करने की तैयारी की जा रही है. इसकी जानकारी सिलक्यारा सुरंग हादसे में राहत एवं बचाव कार्य की कमान संभाल रहे कर्नल दीपक पाटिल ने दी है.
क्या बोले नितिन गडकरी? केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पहली प्राथमिकता अंदर फंसे लोगों को निकालने का है. मामले में 6 विकल्पों पर काम किया जा रहा है. उन्होंने इसे आपदा बताया. उन्होंने कहा कि यह हिमालयी का टेरेन है., जो नाजुक है. इस तरह के टनल का निर्माण कई हिमालयी राज्यों में कर चुके हैं. अगर ऑर्गर मशीन चली तो दो से ढाई दिन में टनल में फंसे लोगों तक पहुंच सकते हैं. अब ऊपर से ड्रिलिंग भी की जा रही है. सभी एक्सपर्टों से सलाह ली जा रही है.
सिलक्यारा सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी मार्ग तैयार
वहीं, सिलक्यारा सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी मार्ग तैयार कर लिया गया है. जिसके बाद ऊपर एक पोकलैंड मशीन पहुंची हुई है. इससे सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग के ऊपर और दायीं ओर से ड्रिलिंग किया जाएगा. बीती शनिवार को भारत सरकार के सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ में तैनात मंगेश घिल्डियाल, डीएम अभिषेक रुहेला ने इसका जायजा लिया था.
सिलक्यारा में उपलब्ध कराई जाएगी नेटवर्क सेवाःसिलक्यारा में नेटवर्क की समस्या पर आपदा प्रबंधन विभाग ने बीएसएनएल समेत एक निजी क्षेत्र की कंपनी की स्मॉल सेल नेटवर्क इंटरनेट स्थापित करने के लिए पत्राचार किया है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि सिलक्यारा में एक निजी कंपनी स्मॉल सेल नेटवर्क के लिए टावर लगाएगी. जबकि, बीएसएनएल की ओर से भी बीटीएस माइक्रो टावर लगाए जाएंगे.
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हम ऑगर मशीन की मदद से 900 मिमी व्यास का पाइप डाल रहे हैं. अभी 22 मीटर तक पहुंच गए हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. भोजन और अन्य आवश्यक सामान भेजने के लिए एक जीवन रेखा पाइप है, उसके ऊपर एक और पाइप डाल रहे हैं. क्योंकि, वहां मलबा कम था. वहां हम 42 मीटर तक गए हैं और कुछ मीटर ही बचे हैं. जब वो तैयार हो जाएगा तो हमारे पास लाइफ सपोर्ट के लिए एक और पाइप होगा. -रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन, उत्तराखंड