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पंजाब में कृषि मजदूरों का शोषण, गृह मंत्रालय ने राज्य के सीएस व डीजीपी को भेजा पत्र

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Published : Apr 2, 2021, 10:24 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के किसानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे पत्र में कहा है कि राज्य के सीमांत जिलों के किसान उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले खेत मजदूरों को पहले नशे का आदी बनाते हैं. फिर उन्हें बंधक बनाकर अपने खेतों में अमानवीय तरीके से काम कराते हैं. इसे लेकर बवाल मचा हुआ है.

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नई दिल्ली :केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्र में पंजाब राज्य सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में कार्रवाई करके गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपे. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी के विधायक ने कहा है कि भाजपा जानबूझकर फूट डालने को लेकर यह सब कर रहा है.

आप का आरोप है कि 2019 की रिपोर्ट का हवाला देकर जान बूझकर किसानों और मजदूरों के बीच दरार लाने की कोशिश की जा रही है. आम आदमी पार्टी के विधायक जय किशन रोड़ी ने कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस करवाने को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन को खत्म करने के मकसद से यह सब किया जा रहा है.

बीएसएफ की पूछताछ से खुलासा
गृह मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि बीएसएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पंजाब के सीमांत जिलों गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर में यूपी और बिहार राज्यों से आने वाले मजदूरों से किसान बंधुआ मजदूरी करा रहे हैं. बीएसएफ ने 2019 व 2020 के दौरान 58 बंधक मजदूरों को छुड़ाकर पंजाब पुलिस के हवाले किया है.

हालांकि पत्र में आरोपों के बारे में कोई तथ्यात्मक दस्तावेज या शिकायत की जानकारी नहीं भेजी गई है. वही शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि किसानों को बदनाम करने के लिए ही ऐसे इल्जाम लगाए जा रहे हैं.

मानव तस्करी पर गंभीर रिपोर्ट

पत्र के मुताबिक मजदूरों को अक्सर नशा देकर खेतों में काम करवाया जाता है. तय समय से भी ज्यादा काम करवाकर उन्हें मजदूरी भी नहीं दी जाती. पंजाब के सीमांत जिलों में खेतों में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर यूपी और बिहार के पिछड़े इलाकों और गरीब परिवारों से संबंधित हैं. मानव तस्करी करने वाले गिरोह ऐसे मजदूरों को अच्छे वेतन का लालच देकर पंजाब लाते हैं. पंजाब पहुंचने पर उनका शोषण किया जाता है. उनसे अमानवीय व्यवहार किया जाता है. गृह मंत्रालय ने पंजाब के किसानों पर मानवाधिकारों का उल्लंघन की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार से मांगी है.

आंदोलनकारी किसानों में फूट की कोशिश
इस संबंध में पंजाब के सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के एक अधिकारी को गृह मंत्रालय का पत्र दिखाते हुए जानकारी मांगी गई तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार जवाब देगी. उन्होंने कहा कि पत्र में किसी भी घटना के तथ्यों की जानकारी नहीं दी गई, न ही कोई सुबूत पेश किया गया है.

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कहा कि 2019-20 के मामलों पर इतनी देर बाद मार्च 2021 में रिपोर्ट मंगाना भी अजीब है. यह पत्र मौजूदा किसान आंदोलन के कारण भेजा गया है. यह सूबे के किसानों को बदनाम करने की कोशिश है. यह पंजाब व यूपी के आंदोलनकारी किसानों में फूट डालने की कोशिश से अधिक कुछ नहीं लगता.

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