लखनऊ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में GST परिषद (GST Council) की 45वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर की दर की समीक्षा की जा सकती है और 11 कोविड दवाओं पर कर छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है.
जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक के दौरान एकल राष्ट्रीय जीएसटी कर के तहत पेट्रोल और डीजल पर कर लगाने और जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किए जाने की उम्मीद है.
देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.
आज देश का शायद ही कोई ऐसा शहर होगा जहां पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक ना हो गए हों. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का टैक्स और हर लीटर का भाड़ा और डीलर की कमीशन शामिल होता है. ये सब हिस्सा मिलाकर ही आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 100 रुपये से अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
मौजूदा वक्त में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल है. एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है. इस वक्त एक डॉलर की कीमत लगभग 74 रुपये है. इस हिसाब से देखें तो एक बैरल कच्चा तेल सरकार को 5550 रुपये का पड़ता है और एक लीटर कच्चे तेल की कीमत करीब 35 रुपये पड़ती है.
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इस कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल और डीजल नहीं मिलता, रिफाइनरी में इस कच्चे तेल से ब्यूटेन, प्रोपेन, नैफ्था, ग्रीस, मोटर ऑयल, पेट्रोलियम जैली जैसे कई उत्पाद भी मिलते हैं. अब आप सोचिये की सिर्फ 35 रुपये के कच्चे तेल की ढुलाई आदि, केंद्र सरकार का टैक्स, राज्य सरकार का वैट और डीलर का कमीशन जोड़कर आप तक 100 रुपये में पहुंच रहा है.