नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिहाज से भारत सहित विकासशील देश सबसे अधिक संवेदनशील हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के 26वें सम्मेलन (सीओपी26) को विकसित देशों से प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और विकास के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
'टेरी' द्वारा आयोजित 'सीओपी26 चार्टर ऑफ एक्शन' पर राष्ट्रीय सम्मेलन को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि भारत की आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की ओर से समन्वित कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, 'विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर अत्यधिक संवेदनशील हैं. भारत की बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है. सरकार अकेले जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकती है. निजी क्षेत्र की कंपनियों को प्रौद्योगिकियों के विकास और वित्त जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.'
यादव ने कहा कि विकासशील देशों में महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों के समर्थन पर निर्भर है. उन्होंने कहा, 'भारत ने बार-बार विकसित देशों से 100 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया है. इस संबंध में, सीओपी26 को प्रौद्योगिकियों के विकास और हस्तांतरण तथा क्षमता-निर्माण मदद के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए....'