नई दिल्ली : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में यह प्रावधान है कि सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए अपनी अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का एक विवरण प्रस्तुत करेगी, जो 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है. इसे ऐन्युअल फाइनेंस स्टेटमेंट कहा जाता है. आम तौर पर इस स्टेटमेंट को केंद्रीय बजट कहा जाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत सरकार को ऐन्युअल फाइनेंस स्टेटमें में प्रस्तावित किए टैक्स को लागू करने के लिए फाइनैंस बिल यानी वित्त विधेयक पेश करनी होती है. ऐन्युअल फाइनेंस स्टेटमेंट यानी बजट को संसद में पेश करने से पहले सरकार को संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (ए) के तहत फाइनेंस बिल पेश करना होता है. इस बिल में बजट में प्रस्तावित टैक्स लागू करने या खत्म करने, किसी प्रकार का छूट देने या उसमें बदलाव करने से संबंधित आवश्यकताओं को सदन से समक्ष रखा जाता है. इसमें बजट से जुड़े अन्य प्रावधान शामिल होते हैं, इसलिए इसे मनी बिल या धन विधेयक के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है.
वित्त विधेयक एक धन विधेयक है (Finance Bill is a Money Bill)
वित्त विधेयक एक धन विधेयक (Money Bill) है. धन विधेयक को अनुच्छेद 110 में वर्णित किया गया है और वित्त विधेयक को अनुच्छेद 117 में. अनुच्छेद 110 में धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा तय की गई है, जिसके तहत विधेयक के रूप में पेश करने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं.अनुच्छेद 110 के क्लॉज (1) (ए) में कहा गया है कि एक विधेयक को तभी धन विधेयक माना जाएगा यदि यह किसी तरह के टैक्स के लागू करने, खत्म करने, किसी प्रकार का छूट देने या उसमें बदलाव करने से संबंधित हो. इसका सीधा अर्थ यह है कि जब किसी में विधेयक में टैक्स लगाने, बढ़ाने, कम करने या उस टैक्स को खत्म करने से संबन्धित प्रावधान हो तो उसे धन विधेयक कहा जाएगा. इसके संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 110 के खंड 1 के सब क्लॉज (ए) से (एफ) के बीच उल्लिखित हैं. यह प्रावधान भारत सरकार द्वारा पैसे उधार लेने या कोई गारंटी देने के नियमन से संबंधित है. एक विधेयक एक मनी बिल या धन विधेयक होगा यदि यह किसी ऐसे कानून में संशोधन करता है, जो भारत सरकार के वित्तीय दायित्वों से संबंधित है. यह अनुच्छेद भारत की संचित निधि (Consolidated Fund ) और आकस्मिकता निधि ( Contingency Fund ) की अभिरक्षा और इन निधियों में धन के भुगतान या धन की निकासी से संबंधित है.
एक वित्त विधेयक को संविधान के तहत धन विधेयक माना जाएगा यदि यह भारत की संचित निधि (Consolidated Fund ) से धन निकासी या आकस्मिक निधि से खर्च की राशि में बढ़ोतरी करने के लिए पेश किया गया हो. यदि किसी विशेष खर्च को भारत की संचित निधि से किया जाता है, तो इसकी धन निकासी के लिए संसद में मतदान की जरूरत नहीं है. उदाहरण के लिए ब्याज का भुगतान या सरकार द्वारा लिए गए ऋण की अदायगी के सरकार संचित निधि से धन ले सकती है. इसके लिए संसद में बिल लाना जरूरी नहीं है. संविधान में यह भी प्रावधान है कि एक विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा यदि वह भारत की संचित निधि या भारत के लोक खाते में धन की प्राप्ति से संबंधित है. साथ ही, एक बिल धन विधेयक होगा यदि यह अनुच्छेद 110 के खंड 1 के सब क्लॉज (ए) से (एफ) के बीच लिस्टेड मामलों जैसे पैसे की कस्टडी या संघ या राज्य के खातों की ऑडिट से संबंधित है.
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