नई दिल्ली :कोविड-19 संकट के बीच यात्रा प्रतिबंधों के कारण भारत में उड्डयन क्षेत्र को आगामी वित्तीय बजट से बहुत उम्मीदें हैं. क्षेत्र को उम्मीद है कि केंद्र सरकार टरबाइन ईंधन को भी जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पर विचार करेगा, ताकि एयरलाइंस पर से ऋण का बोझ कम करने के लिए हवाई अड्डे के शुल्क को कम किया जा सके.
इंटरनेशनल फाउंडेशन फार एविएशन एयरोस्पेस एंड ड्रोन्स के चेयरमैन सनत कौल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकार को एविएशन टरबाइन ईंधन पर राहत देनी चाहिए. लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे इसके लिए आगे आएंगे. पर्यटन वित्त निगम की बात और एविएशन फाइनेंस कॉरपोरेशन एक साथ सोच सकते हैं क्योंकि ये ऐसे उद्योग हैं जो हर हाल में पीड़ित हैं. कौल ने कहा कि कोविड से प्रेरित लॉकडाउन के कारण जो एयरलाइंस लगभग दो महीने तक उड़ान भरने में सक्षम नहीं थे, उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी. इसे सरकार की ओर से बहुत पहले स्पष्ट कर दिया गया है.
हवाई किराए पर कैपिंग हटाएं
एक एयरलाइन कार्यकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बोलते हुए कहा कि एटीएफ पर कम करों के साथ-साथ हवाई अड्डे, पार्किंग, लैंडिंग, नेविगेशन शुल्क को कम करना घरेलू एयरलाइनों की लंबे समय से मांग है. हमें उम्मीद है कि सरकार इस बजट में कुछ राहत प्रदान करेगी. विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को अब हवाई किराए पर कैपिंग को हटा देना चाहिए और उन्हें पूरी क्षमता से संचालित करने की अनुमति देनी चाहिए. जिससे उन्हें अधिक राजस्व प्राप्त करने में मदद मिले. वर्तमान में एयरलाइंस को अपनी पूर्व कोविड क्षमता के 80 प्रतिशत तैनाती करने की अनुमति है.