तिरुवनंतपुरम : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए समान अधिकार, न्याय और गरिमा का मामला है. उन्होंने इस पर आपत्ति जता रहे विपक्षी दलों के रवैये की निंदा की.
यहां प्रदेश पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम बहुल देश समान नागरिक संहिता का पालन कर रहे हैं. उन्होंने रेखांकित किया कि इंडोनेशिया, सूडान, तुर्की, बांग्लादेश और कई अन्य देशों में समान नागरिक संहिता है तथा भारत के गोवा और पुडुचेरी में यह पहले से ही लागू है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केरल प्रभारी जावड़ेकर ने यह भी दावा किया कि इन दशकों में गोवा और पुडुचेरी में यूसीसी के संबंध में मुसलमानों या किसी अन्य से एक भी शिकायत नहीं आई है.
उन्होंने पूछा, 'जब पुडुचेरी के मुसलमान और अन्य लोग इसे स्वीकार कर रहे हैं तथा बिना किसी शिकायत के इसका पालन कर रहे हैं, तो यह कानून क्यों नहीं होना चाहिए?'
भाजपा नेता ने कहा कि सभी के लिए एक आपराधिक कानून है और सभी के लिए एक नागरिक कानून भी होना चाहिए. यह उल्लेख करते हुए कि यूसीसी कोई 'भाजपा का नवोन्मेष' नहीं है, उन्होंने कहा कि यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान का अनुच्छेद 44 है.
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने लिखा था कि एक निश्चित समय के बाद सभी निर्देशक सिद्धांतों को कानून में बदल दिया जाना चाहिए. भाजपा नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस संबंध में फैसले और निर्देश दिए.
जावड़ेकर ने शाह बानो मामले में शीर्ष अदालत द्वारा व्यक्त की गई पीड़ा की ओर भी इशारा किया. शीर्ष अदालत ने शाह बानो मामले में कहा था कि यह अफसोस की बात है कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 44 'डेड लेटर' (अप्रचलित कानून) बना हुआ है. उन्होंने कहा कि यूसीसी मूल रूप से विवाह, तलाक, गोद लेने आदि के बारे में है.
जावड़ेकर ने कहा, 'यह सभी के लिए है लेकिन महिलाओं को इनके कारण अधिक परेशानी हो रही है.' भाजपा नेता ने कहा, 'इसलिए, उन्हें उनके समान अधिकार मिलने चाहिए...उन्हें न्याय मिलना चाहिए और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए...यह कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है...आंबेडकर ने कहा था कि यह धार्मिक मुद्दा नहीं है. यह समान अधिकार का मुद्दा है.'
यूसीसी का विरोध करने वाले विपक्षी दलों, विशेषकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि विधि आयोग ने केवल सुझाव मांगे हैं और इसे समर्थन देने के बजाय, उन्होंने पहले से ही विरोध करना शुरू कर दिया है.