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असंवैधानिक और अव्यावहारिक है यूनिफॉर्म सिविल कोड: पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को गलत ठहराया है. पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड असंवैधानिक और अव्यावहारिक है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूनिफॉर्म सिविल कोड

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Published : Jul 26, 2021, 6:42 AM IST

लखनऊ :देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्थाओं में शुमार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर बड़ा बयान जारी किया है. पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा है कि अल्लाह ने हमें एक ऐसे मुल्क में पैदा किया है, जो बहुत सी खूबियों से लबरेज है. जिसमें अलग मजहब और अलग तहजीब से ताल्लुक रखने वाले लोग बसते हैं.

उन्होंने कहा कि हम सब सदियों से मोहब्बत और इंसानियत के साथ एक-दूसरे के सुख-दुख में जिंदगी गुजारते आए हैं. उन्होंने कहा कि इस वक्त मुल्क में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाने की बात कही जा रही है, जो हकीकी मुद्दों से भटकाने वाली बात मालूम होती है. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड असंवैधानिक और अव्यवहारिक है.

मुसलमान कुरान और हदीस का पाबंद
AIMPLB के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा कि जो कुरान शरीफ और हदीस में बताया गया है, मुसलमान उस पर अमल करने का पाबंद है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस बात का इख्तियार नहीं है कि वह कुरान शरीफ और हदीस के अहकाम को बदल डाले. मौलाना ने मिसाल देते हुए कहा कि मुसलमानों में सूद और ब्याज का पैसा लेना-देना जायज नहीं है, जिससे मुसलमान परहेज करता है.

उन्होंने शराब और जुए की भी मिसाल देते हुए कहा कि एक मुसलमान शराब की न खरीद-फरोख्त कर सकता है. न ही जुए में किसी तरह का लेनदेन कर सकता है क्योंकि उसको अपने मजहब से इसके लिये मना किया गया है. अल्लाह ने इन बातों को हराम करार दिया है.

मौलाना ने कहा कि कॉमन सिविल कोड में बहुत सी ऐसी बातें आएंगी जो शरीयत से टकराएंगे. शरीयत में मर्द को इंसाफ की शर्त के साथ एक से ज़्यादा निकाह की इजाज़त दी है और यूनिफॉर्म सिविल कोड में इसको मना किया जाएगा. शरीयत में मर्द को तलाक देने का अधिकार दिया गया है, जिसमें दोनों की सहमति अगर बनती है तो बगैर रुसवाई के औरतों का भी फायदा है.

उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड में तलाक का अधिकार मर्द के हाथ से छिन जाएगा और यह इख्तियार अदालत के हाथ में चला जायेगा, जिसमें लंबा वक्त लगता है. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुसलमानों के ऐसे कई मामलात की मिसाल देते हुए कहा कि कॉमन सिविल कोड मुसलमानों के शरई ऐतबार से हरगिज सही नहीं रहेगा.

मुल्क में मजहब की आजादी है हासिल
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि मुल्क में सभी तरह के मजहब के मानने वालों को अपने मजहब पर अमल करने का पूरा हक हासिल है. उन्होंने कहा कि अगर कॉमन सिविल कोड मुल्क में लागू किया गया तो लोगों के जो बुनियादी हक है लोग उस हक से महरूम हो जाएंगे. इसमे मुसलमान ही नही सभी कौम के लोग शामिल होंगे. मुल्क में अगर कॉमन सिविल कोड नाफिज किया गया तो यह मुसलमान के शरई ऐतबार और मुल्क के दस्तूर के लिहाज से भी गलत और न क़ाबिले क़ुबूल होगा.

सिविल कोड को बताया नुकसानदेह
मौलाना सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि कॉमन सिविल कोड के फायदे तो समझ से परे हैं, लेकिन इसके नुकसान ज़्यादा हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून से मुल्क की एकता को चोट पहुंचेगी और लोगों के दिलों को ठेस लगेगी. उन्होंने कहा कि हमारे मुल्क में कानून के मुताबिक, हमें अपने मजहब और तहजीब पर अमल करने की इजाजत है. अगर कॉमन सिविल कोड लागू किया जाता है, तो मुहयदों की खिलाफ वर्जी होगी, जिसके सबब में बगावत के जज्बात उभरेंगे और हमारे मुल्क की दुनिया भर में बदनामी होगी.

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रहमानी ने कहा कि कॉमन सिविल कोड से फायदा एक पाई का नहीं है नुकसान बहुत हैं. इससे लोगों के जज्बात भड़केंगे. लोग यह महसूस करेंगे कि उनसे उनकी शिनाख्त छीनी जा रही है. उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड से अंदेशा यह है कि कहीं फिर से लोग बिखराव की तरफ न चले जाएं.

सरकार से की अपील
मौलाना रहमानी ने हुकूमत से अपील करते हुए कहा कि हुकूमत अपने इस इरादे से बाज आए. हमारा मुल्क एक बड़ा मुल्क है. दुनिया की सबसे बड़ी जम्हूरियत है और मुख्तलिफ मजहब और तहजीब वाले लोग यहां रहते हैं, जो हमारे मुल्क की पहचान है. उन्होंने कहा कि हमारे मुल्क का मसला कॉमन सिविल कोड नहीं है बल्कि बेरोजगारी, महंगाई, नौजवानों की तालीम व सेहत और बिगड़ती अव्यवस्था है.

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