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Uniform Civil Code: मोदी विरोधी मोर्चे के लिए सीपीएम और कांग्रेस एक साथ, राज्य में कड़े प्रतिद्वंद्वी

समान नागरिक संहिता को लेकर केरल में सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) विरोध करने वाली है. इसके लिए पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी से भी हाथ मिलाने को तैयार है. हालांकि स्थानीय स्तर पर दोनों ही पार्टियों के बीच मतभेद साफ दिखाई देते हैं. इस मुद्दे पर केरल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरन ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा से बात की...

Communist Party of India (Marxist) and Congress Party
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और कांग्रेस पार्टी

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Published : Jul 13, 2023, 7:56 PM IST

नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर केरल में सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और विपक्षी कांग्रेस के बीच जुबानी जंग ने दोनों दलों के बीच मतभेद पैदा कर दिया है और कांग्रेस ने कहा है कि केरल में उनका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी सीपीआई (एम) है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूसीसी की आग जलाने के कुछ दिनों बाद, कांग्रेस और सीपीएम दोनों भाजपा के खिलाफ एकजुट राजनीतिक लड़ाई के आह्वान के साथ पटना विपक्ष की बैठक में एक ही मेज पर दिखाई दिए.

लेकिन, जहां राष्ट्रीय स्तर पर वे दोनों एकजुट दिख रहे थे, वहीं केरल में राज्य स्तर पर उनके मतभेद बिल्कुल स्पष्ट हैं और दोनों पार्टियां एक-दूसरे का विरोध कर रही हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरन ने कहा कि राज्य स्तर पर केरल में सीपीआई (एम) उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा है.

जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस ने यूसीसी पर आगामी सेमिनारों और कार्यक्रमों के लिए सीपीएम और उनके सहयोगियों को आमंत्रित किया है, तो उन्होंने कहा, नहीं. हम सीपीएम को आमंत्रित नहीं करेंगे क्योंकि उनका दृष्टिकोण अलग है और हम उनमें शामिल नहीं हो सकते. लेकिन, हम सीपीआई को आमंत्रित कर रहे हैं. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) को निमंत्रण पर कांग्रेस नेता ने कहा कि हां, हमने उन्हें आमंत्रित किया है.

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि वे एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक हैं और मैंने उनसे बात भी की है. उन्होंने अपनी उपस्थिति की पुष्टि कर दी है और यूसीसी पर सेमिनार और कार्यक्रमों में भाग लेंगे. इससे पहले, जब सीपीएम ने आईयूएमएल को यूसीसी पर अपने सेमिनार के लिए आमंत्रित किया था, तो आईयूएमएल ने यह कहते हुए निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था कि वे कांग्रेस के बिना ऐसे किसी भी सेमिनार में शामिल नहीं हो सकते हैं.

जबकि कांग्रेस पार्टी ने यूडीएफ को विभाजित करने के प्रयास के लिए सीपीएम को दोषी ठहराया था. लेकिन, सुधाकरन ने आगे ये भी कहा कि हम यह भी सोच रहे हैं कि सीपीएम को आमंत्रित किया जाए या नहीं. चर्चा के बाद, यदि यह निर्णय लिया जाता है, तो हम सीपीएम को आमंत्रित कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि सीपीआई (एम) ने 1985 में यूसीसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार का आह्वान किया था, जब ईएमएस नंबूदरीपाद महासचिव थे. यह सीपीएम के दोहरे मापदंड को दर्शाता है.

इस मुद्दे पर सीपीएम के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि हम अपने सेमिनारों में कांग्रेस को आमंत्रित नहीं करेंगे. उनका दोहरा मापदण्ड वाला दृष्टिकोण है. केरल कांग्रेस तो एक सुर में बोल रही है लेकिन छत्तीसगढ़ इकाई और उनकी अन्य राज्यों की इकाइयों का रुख अलग है. जब उनसे पूछा गया कि क्या आईयूएमएल को आमंत्रित किया जाना चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं केवल मलयालम बोलता हूं.

यहां यह ध्यान रखना उचित है कि आईयूएमएल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का एक प्रमुख सहयोगी है और सीपीएम द्वारा उन्हें निमंत्रण ने कांग्रेस पार्टी को परेशान कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि वे मुस्लिम वोट बैंक खो सकते हैं. जब IUML के प्रदेश अध्यक्ष सैय्यद सादिक अली शिहाब थंगा से संपर्क किया गया तो उन्होंने यह जवाब दिया कि हम सीपीएम द्वारा शुरू किये जाने वाले किसी सेमिनार या कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

इस सवाल पर कि मुस्लिम धार्मिक संस्था समस्त केरल जेम-इयातुल उलमा सीपीआई (एम) में क्यों शामिल हो गए, उन्होंने जवाब दिया कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. आपको उनसे पूछना चाहिए. वहीं, इस पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान ने कहा कि फिलहाल, हमें अभी तक कांग्रेस की ओर से कोई निमंत्रण नहीं मिला है.

यदि हमें आमंत्रित किया गया तो हम जाने में संकोच नहीं करेंगे. यह राज्य आधारित मुद्दा नहीं है, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और पूरे विपक्ष को यूसीसी पर आम सहमति बनाने और भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आने की जरूरत है.

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