हैदराबाद : द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की और से पीड़ित परिवारों के बच्चों तक राहत सामग्री पहुंचाने और उनकी मदद के लिए 11 दिसंबर 1946 एक वैश्विक संस्था के रूप में स्थापित किया था. स्थापना के समय इसका नाम अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन फंड (International Children’s Emergency Fund-ICEF) रखा गया था. 1953 में यूनिसेफ ने अपने मिशन को व्यापक बनाया और इसके नाम से अंतरराष्ट्रीय और आपातकालीन शब्द को हटा दिया गया. इसी के साथ यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बन गया. वर्तमान में यह संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund-UNICEF) के नाम से जाना जाता है.
11 दिसंबर 2023 को यूनिसेफ स्थापना के 77 वर्ष पूरे हो रहे हैं. 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों में बच्चों व माताओं को आपातकालीन स्थिति में भोजन और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए यूनिसेफ को स्थापित किया गया था. आज के समय में इसका रोल बदल गया है. अब युद्ध हो या शांति, यूनिसेफ बच्चों के समग्र विकास के काम करता है. दुनिया के 190 से ज्यादा देशों या क्षेत्रों में बच्चों से जुड़े हर मुद्दे पर यूनिसेफ काम करता है. स्थापना के बाद से यूनिसेफ का कई बार लोगो बदला जा चुका है. इनमें में कुछ मुख्य काम इस प्रकार हैं.
यूनिसेफ दिवस 2023 के लिए थीम 'हर बच्चे के लिए हर अधिकार' (For Every Child Every Right) तय किया गया है.
- इसके तहत हर बच्चे के लिए शांति: हर बच्चे को, हर जगह, शांतिपूर्ण दुनिया में रहने का अधिकार है.
- हर बच्चे के लिए एक रहने योग्य प्लेनेट: बच्चों को एक सुरक्षित और रहने योग्य ग्रह का अधिकार है.
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हर बच्चे के लिए, एक आवाज: बच्चों की बात सुनी जानी चाहिए और उन सभी निर्णयों में उन्हें शामिल किया जाना चाहिए जो उन्हें प्रभावित करते हैं.
यूनिसेफ का मुख्य कार्यक्षेत्र
बच्चों की सुरक्षा
विश्व भर में फैले बच्चों की सुरक्षा व संतुलित विकास के लिए यूनिसेफ नीतियां तैयार करता है. दुनिया भर में फैले स्टेक होल्डरों के साथ मिलकर उन नीतियों को जमीन पर उतारने के लिए नियमित रूप से काम करता है. नीतियों का निर्माण करना और उसे लागू करने में समन्वयक की भूमिका अदा करता है, योजनाओं को इन नीतियों के मदद से बच्चों का समावेशी विकास होता है.
बच्चों के जीवन की सुरक्षा
धरती पर मौजूद हर बच्चे को जीने और फलने-फूलने या कहें तो जीवन में आगे बढ़वे का अधिकार है. दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद कमजोर बच्चों के लिए कई बार ये सुविधाएं आसान नहीं होता है. ऐसी परिस्थियों पर यूनिसेफ अपनी योजनाओं से कमजोर बच्चों की सुरक्षा कर बाल मृत्यु दर को नियंत्रित करता है.
बच्चों के लिए शिक्षा
शिक्षा या कहें तो सीखने का अधिकार हर बच्चों का हक है. कई कारणों से आज भी भारत के अलग-अलग हिस्सों में बच्चे या तो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं या उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. खासकर वैसे परिवार की लड़कियां जो आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़े हैं. ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए यूनिसेफ विशेष रूप से काम करता है.