नई दिल्ली :संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76 वें सत्र के लिए अध्यक्ष निर्वाचित किये गये अब्दुल्ला शाहिद ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सुर में बोलना शुरू करने और इस चुनौती से निपटने से जुड़े जारी कार्य को पूरा करने की दिखने वाली राजनीतिक इच्छा शक्ति प्रदर्शित करने की जरूरत है.
मालदीव के विदेश मंत्री शाहिद ने पीटीआई-भाषा से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि संरा महासभा के 76 वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर वह आतंकवाद के खिलाफ एक समझौते पर मुख्य रूप से जोर देंगे और उन्होंने अफसोस जताया कि आतंकवाद की एक परिभाषा तय की जानी अभी बाकी है.
उन्होंने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करने के लिए एक सुर में बोलने की जरूरत है. हमें संयुक्त राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है और इसे आतंकवाद के खिलाफ समझौता के लिए संयुक्त राष्ट्र में जारी कार्य को पूरा कर इसे प्रदर्शित करने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा, 'हम अभी तक आतंकवाद की किसी परिभाषा तक नहीं पहुंच पाए हैं.' हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे से निपट रही संबद्ध समिति में कार्य में तेजी लाई जाएगी ताकि इस बुराई (आतंकवाद) का मुकाबला करने की अत्यावश्यक एकता राजनीतिक स्तर पर प्रदर्शित हो सके. '
शाहिद ने कहा कि इस तरह के कदम आतंकवादियों को यह महसूस करने को मजबूर कर देंगे कि सभ्य राष्ट्रों में उनके लिए कोई जगह नहीं है.
शाहिद तीन दिनों के दौरे पर बुधवार को भारत पहुंचे. भारत पहला देश है जहां का, यूएनजीए अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद, वह दौरा कर रहे हैं. वह सात जून को इस पद के लिए निर्वाचित हुए थे.
कोरोना वायरस संकट के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा टीका राष्ट्रवाद का जोर पकड़ना चिंता का विषय है और कहा कि संयुक्त राष्ट्र तथा इसके 193 सदस्य देशों को इसका समाधान करने के लिए एकजुट होना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'यदि हम टीका राष्ट्रवाद को खत्म करने में नाकाम रहे तो हम ना सिर्फ अपने लोगों को नाकाम कर देंगे बल्कि मानवता को भी नाकाम कर देंगे क्योंकि हम जिस दुश्मन से लड़ रहे हैं, वह वायरस है. यदि हम आपस में लड़ेंगे तो हम वायरस के खिलाफ लड़ाई शुरू नहीं कर सकते. '