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नर्सिंग भर्ती का विरोध : प्रधानमंत्री मोदी को भेजे 90 हजार पोस्टकार्ड

बेरोजगार नर्सेज यूनियन ने नर्सिंग भर्ती नियमों में 80 और 20 अनुपात का विरोध जताने की अनोखी पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 90 हजार से अधिक पोस्टकार्ड भेजे. महिला नर्सेज भी नर्सेज भर्ती नियम का विरोध कर रही हैं.

90 हजार पोस्टकार्ड
90 हजार पोस्टकार्ड

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Published : Dec 1, 2020, 7:42 PM IST

नई दिल्ली : बेरोजगार नर्सेज संघर्ष समिति ने पूरे देश में नर्सिंग भर्ती नियम में पुरुष और महिला के लिए निर्धारित किये गए 20 और 80 अनुपात का विरोध दर्ज करने के लिए एक अनोखी पहल की है. पूरे देशभर में पोस्टकार्ड कैंपेन चलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 90 हजार पोस्टकार्ड भेजे. इस पोस्टकार्ड कैंपेन की शुरुआत 27 जूलाई 2020 को अखिल भारतीय बेरोजगार नर्सेज संघर्ष समिति के तत्वावधान में की गई थी, जो 30 नवंबर तक चला. इसमें देश के कई राज्यों से अब तक 90,000 से अधिक पोस्ट कार्ड भेजे गए हैं.

सबसे ज्यादा राजस्थान से भेजे गए पोस्ट कार्ड
बेरोजगार नर्सेज संघर्ष समिति के मुताबिक राजस्थान के विभिन्न नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं, बेरोजगार नर्सेज और सरकारी और गैरसरकारी नर्सिंग कर्मचारियों ने लगभग 44 हजार से ज्यादा पोस्ट कार्ड लिखे हैं. मध्य प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने लगभग 18 हजार पोस्ट कार्ड भेजे हैं. वहीं आंध्र प्रदेश से लगभग 5 हजार, दिल्ली एम्स, सफदरजंग और विभिन्न हाॅस्पिटल के नर्सेज ने 7 हजार पोस्ट कार्ड भेजे हैं और केरल से लगभग 5 हजार और उत्तर प्रदेश से 3 हजार व गुजरात और महाराष्ट्र से लगभग 8 हजार पोस्ट कार्ड भेजे गए हैं. इस पोस्ट कार्ड कैंपेन को भरपूर समर्थन मिल रहा है.

जताया विरोध

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80:20 वाले नये नियम का विरोध क्यों ?

बेरोजगार संघर्ष समिति के सदस्य शंकर चौधरी ने बताया कि हम विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि भर्तियों के लिए जब 80:20 का नियम बन रहा था, तब मीटिंग में नर्सेज का एक भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था, तो बनाये गए नियम नर्सेज के हित में कैसे हो सकते हैं ? हालांकि, इसके पीछे जिन लोगों का हाथ है उनकी नियत साफ़ नहीं थी. क्योंकि वो लोग चाहते हैं कि मेल नर्सेज ना आयें और फीमेल नर्सेज हमारी हां में हां मिलाएं और हम अपनी वर्चस्व की राजनीति चलाते रहें, जो इस बार सफल नहीं होगी.

किया गया लिंग भेद का विरोध

नर्सिंग स्टूडेंट कंचन शेखावत ने बताया कि नर्सिंग के कोर्स में प्रवेश पाने के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियमों में लिंग भेद आधारित प्रवेश प्रक्रिया नहीं है. जिस कारण महिला व पुरुष नर्सेज को समानता का अधिकार है, लेकिन सीआईबी के इस निर्णय से पुरुषों के सपने चूर-चूर होने के साथ ही बेरोजगार नर्सिंग पुरुषों का एक काफिला खड़ा हो जाएगा. अगर यह निर्णय ऐसा ही रहा तो 4-5 सालों की निरंतर मेहनत और लाखों रुपये प्रतिवर्ष खर्च करने के बावजूद भी पुरुष नर्सेज को रोजगार के लाले पड़ जाएंगे.

एम्स दिल्ली के भर्ती नियम के विरोध में दूसरे राज्यों के एम्स
सीआईबी के इस निर्णय के आधार पर हाल ही में एम्स पटना तथा एम्स नागपुर ने विज्ञप्ति जारी की थी, जिसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. जिससे भारत के संपूर्ण नर्सिंग समुदाय में रोष व्याप्त है, नर्सेज के विभिन्न संगठन एवं छात्र छात्राएं इसका निरंतर विरोध कर रहे हैं. परंतु एम्स नई दिल्ली अभी तक कोई सुध नहीं ले रहा है और न ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन कुछ बोल रहे हैं.

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