नई दिल्ली :केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय स्कूली परीक्षा अंकन प्रणाली में बड़ा सुधार कर रहा है. यह सुधार नई शिक्षा नीति के प्रावधानों पर आधारित हैं. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत एक अलग तरह कि मार्किंग (मूल्यांकन) प्रणाली अपनाई जा रही है. नई शिक्षा नीति पर आधारित यह मूल्यांकन प्रणाली रचनात्मक, प्रासंगिकता और सही उत्तरों पर जोर देगी. मूल्यांकन की इस नई प्रणाली का मुख्य उद्देश्य छात्रों के तनाव को कम करना और आनंदमय एवं सीखने के व्यावहारिक तरीके को स्कूल शिक्षा प्रणाली में शामिल करना है. इसी विजन के तहत सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को भी नया स्वरूप दे रहा है.
सीबीएसई का कहना है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लिए गए एक्शन से छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी. दरअसल नई शिक्षा नीति के यह प्रावधान छात्रों के तनाव को कम करने और आनंदमय, व्यावहारिक सीखने की प्रक्रिया पर जोर देते हैं. इसी विजन के तहत सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षाओं को भी नया स्वरूप दिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक नई शिक्षा नीति के अंतर्गत परीक्षा प्रक्रिया में सुधार किए गए हैं, जिसका उद्देश्य छात्रों के सीखने की प्रक्रिया में सुधार करना है. इस प्रक्रिया से परीक्षा तंत्र में सुधार हुआ है और छात्रों के रिजल्ट पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इस नई प्रक्रिया के अंतर्गत क्रिएटिव, करेक्ट और रिलेवेंट उत्तर को महत्वता दी जाती है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली छात्रों को पढ़ाई और परीक्षा के विषय दो स्तरों पर ऑफर किए जा रहे हैं जिससे छात्रों का स्ट्रेस कम हुआ है. साथ ही गणित जैसे विषय को लेकर सीनियर सेकेंडरी लेवल पर छात्रों को विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं. दरअसल नई शिक्षा नीति में प्रावधान है कि स्कूली पाठ्यचर्या में सामग्री में कमी, लचीलेपन में वृद्धि और रटने के बजाय रचनात्मक पर नए सिरे से जोर दिया जाए. नई शिक्षा नीति यह भी कहती है कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में समानांतर परिवर्तन के साथ होना चाहिए. सभी पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण समझी जाने वाली आवश्यक मूल सामग्री (चर्चा, विश्लेषण, उदाहरण और अनुप्रयोगों के साथ) को शामिल करना होगा.