गांधीनगर : राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक मूल्य (वैल्यू) और लोकतांत्रिक संस्थाएं देश में खतरे का सामना कर रही हैं तथा नाममात्र का (रबर स्टैम्प) राष्ट्रपति संविधान को बचाने की कभी कोशिश नहीं करेगा. सिन्हा, 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस विधायकों का समर्थन मांगने के लिए यहां आए थे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस चुनाव में उनके और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बीच मुकाबला सिर्फ इस बारे में नहीं है कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा. सिन्हा ने कहा, 'यह लड़ाई अब कहीं अधिक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गई है. यह इस बारे में है कि क्या वह व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के बाद संविधान बचाने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करेगा/करेगी. और यह स्पष्ट है कि नाममात्र का राष्ट्रपति ऐसा करने की कभी कोशिश नहीं करेगा.'
उन्होंने कहा, 'आज, संवैधानिक मूल्य और प्रेस सहित लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं. देश में वर्तमान में अघोषित आपातकाल है. लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने (1975 से 1977 के बीच) आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी तथा इसके लिए वे जेल भी गए थे. आज उनकी ही पार्टी (भाजपा) ने देश में आपातकाल थोप दिया है. यह विडंबना ही है.'