नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर वकील की आंशिक दलीलें सुनीं. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.
सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ 6 मार्च 2020 को FIR दर्ज की गई और गिरफ्तारी 13 सितंबर 2020 को हुई. दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद की ये पहली गिरफ्तारी थी. इस मामले में उमर खालिद से पहली पूछताछ 30 जुलाई 2020 को हुई. जब भी उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया वो बिना देरी किए पहुंचा. खालिद पूछताछ के लिए गुवाहाटी से दिल्ली आया. उमर खालिद नोटिस पर आया था, जब उसे गिरफ्तार किया गया. उसे कहीं से गिरफ्तार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि उमर खालिद को दूसरे FIR नंबर 101 में 1 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया. उस मामले में उसे जमानत मिल चुकी है.
पायस ने कहा कि जिस मामले में जमानत मिली है उस FIR में उमर खालिद का नाम भी नहीं है. FIR नंबर 59 में उमर खालिद का नाम अनावश्यक रूप से घसीटा गया है. इस FIR में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को टारगेट किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के सभी FIR में अलग-अलग आरोप हैं. सभी FIR को अलग-अलग अपराधों के लिए दर्ज किया गया है, लेकिन इस FIR में ऐसी कोई बात नहीं है. इस तरह के आरोप लगाए गए हैं कि बयानों के आधार पर लोगों को फंसाया जा सके. ये सभी बयान पूर्वनियोजित तरीके से दर्ज किए गए हैं. पुलिस के सामने दर्ज बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयानों से मेल नहीं खाते हैं. चार्जशीट भी फर्जीवाड़ा है. बयानों का साक्ष्यों से कोई लेना-देना नहीं है. इस FIR में किसी की गिरफ्तारी तक नहीं होनी चाहिए, बल्कि FIR भी दर्ज नहीं होना चाहिए.
पायस ने कहा कि FIR में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में चक्काजाम के दौरान महिलाओं और बच्चों को आगे किया गया. उन्होंने कहा कि 15 मार्च 2020 को FIR में धारा 302, 307, 153ए इत्यादि जोड़ीं गईं. इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली दंगों से जुड़े सभी FIR में ये सारी बातें होंगी. हास्यास्पद बयान दर्ज किए गए हैं. उन्होंने UAPA की धारा 43डी को पढ़ते हुए कहा कि ये अभियोजन पर है कि वो आरोपों को प्रमाणित करे.
पायस ने कोर्ट को खालिद के अमरावती वाले भाषण को दिखाया. उन्होंने वीडियो दिखाने के बाद कहा कि वीडियो इसलिए दिखाना पड़ा, क्योंकि इससे साफ हो सके कि आरोप राजद्रोह के लायक नहीं हैं. आयोजकों ने उमर खालिद को बुलाया था, जिसमें रिटायर्ड आईपीएस अफसर भी आमंत्रित थे. पायस की दलीलें जब लंबी चलीं तो कोर्ट ने कहा कि हमें इस केस की सुनवाई रोकनी होगी, क्योंकि कई मामलों पर आदेश पारित करना है. कोर्ट ने पायस से पूछा कि आपको और कितना समय चाहिए तो पायस ने कहा कि एक घंटे. उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 और 6 सितंबर को करने के आदेश दिये.