सागर।बीजेपी में उमाभारती एक ऐसी नेता हैं, जो राम मंदिर की कारसेवा से राजनीति के राष्ट्रीय पटल पर आयी थी और भाजपा की भगवा राजनीति का प्रमुख चेहरा बनी थीं. लेकिन आज जब राम मंदिर बन रहा है, तब उमा भारती भाजपा की राजनीति में हाशिए पर नजर आ रही हैं. पूरे देश की राजनीति में फायरब्रांड नेता की छवि के साथ भाजपा का प्रचार करने वाली उमा भारती के हाल अब ये है कि उनके गृह प्रदेश में ही स्टार प्रचारक की सूची में नहीं रखा गया है. ये भी उस वक्त हुआ, जब वो अपने गृह जिले टीकमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए अपनी जाति के बंधुओं को कसमें दिला रही थी.
भाजपा के लिए मददगार रहा है लोधी वोट बैंक: अब उमा भारती हिमालय की ओर चल पड़ी हैं और धनतेरस पर लौटने की बात कह रही है. ऐसे में उमा भारती की उपेक्षा भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है. क्योंकि उमा भारती की छवि एक भीड जुटाऊ नेता की है. पूरे मध्यप्रदेश में उमा भारती की हर तरफ स्वीकार्यता और बुंदेलखंड की बेटी होने के साथ लोधी जाति के होने के कारण लोधी वोट बैंक हमेशा भाजपा के लिए हमेशा मददगार रहा है. ऐसे में उमा भारती की नाराजगी भाजपा के लिए भारी पड़ती नजर आ रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री के नाते स्टार प्रचारक में होना था नाम:शायद उमा भारती को अंदाजा हो गया था कि उनके गृह प्रदेश मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में उन्हें कोई भूमिका नहीं मिलने वाली है. इसीलिए वह अपने गृह जिले टीकमगढ़ पहुंची. अंदाजा लगाया जा रहा था कि पूरे बुंदेलखंड में टिकट वितरण को लेकर हुई बगावत थामने के लिए उमा भारती पहुंची है. क्योंकि सबसे बड़ी बगावत उनके गृह जिले टीकमगढ़ में ही देखने मिली. लेकिन हमेशा की तरह जब वो टीकमगढ़ में पत्रकारों से रूबरू हुई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये काम मेरा नहीं प्रदेश अध्यक्ष का काम है. यहीं उन्होंने अपने इरादे जाहिर किए कि वो अपने गांव की बगाज माता के दर्शन के लिए आई है और रामराजा के दर्शन के बाद हिमालय की तरफ निकल जाएगी, फिर धनतेरस के दिन वापसी करेंगी. आगामी लोकसभा चुनाव में उनके चुनाव लड़ने और भूमिका के सवाल पर उनकी नाराजगी साफ तौर पर सामने आ गयी. जब उन्होंने कहा ''कि ये जेपी नड्डा ही बता सकते हैं. जब दूसरे दिन सूची जारी हुई तो बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में उमा भारती को स्टारप्रचारक की सूची से बाहर रखने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया.
सजातीय वोटों को कर रही थी एकजुट, पार्टी से मिली खबर:दरअसल उमा भारती की बात करें तो 27 अक्टूबर को उमा भारती टीकमगढ़ में थी. यहां पर उन्होंने स्थानीय प्रत्याशी राकेश गिरी के समर्थन में अपने सजातीय लोधी वोटर की बैठक आयोजित की और बैठक में भाजपा प्रत्याशी राकेश गिरी के लिए समर्थन मांगा. वहां अपने लोधी समुदाय के लोगों की बैठक बुलाकर उन्होंने कहा कि ''मैं वोट नहीं मांग सकती, क्योंकि चुनाव आयोग को लिख कर दिया है, लेकिन आशीर्वाद तो मांग सकती हूं और आपके सामने दे भी सकती हूं. इसके साथ मेरी इज्जत जुडी हुई है, प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है और जब मैंने इसके सिर पर हाथ रख दिया, तो इसका मतलब क्या है, बताओ. आपका भी हाथ इसके सिर पर होना चाहिए कि नहीं, तो उठाइये हाथ.''
क्या भाजपा ने उठाया आत्मघाती कदम:विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए, तो जब कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर हो और सत्ताविरोधी लहर नजर आ रही हो, ऐसे में उमा भारती जैसी जनाधार और भीड जुटाऊ नेता को हाशिए पर डालना क्या उचित है. मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में ये चर्चा जमकर चल रही है. क्योंकि उमा भारती की बात करें, तो वो एक अंचल या प्रदेश की नेता नहीं हैं, बल्कि उनकी पूरे देश में उनकी स्वीकार्यता है. दस साल की दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ फेंकने पार्टी ने उमा भारती को ही कमान सौंपी और वो महज 9 महीने ही मुख्यमंत्री रह पायी. पार्टी से बगावत की और फिर वापिस आ गयी. जब पार्टी को उत्तरप्रदेश में पैर जमाने की जरूरत समझ आई, तो वहां उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड की चरखारी विधानसभा से उन्हें चुनाव लड़ाकर उत्तरप्रदेश की राजनीति में बीजेपी ने फिर पैर जमाने की शुरूआत की और जब वहां सत्ता हासिल हो गयी, तो फिर उमा भारती को कोई बड़ा पद नहीं मिला. अब जब उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में ही हाशिए पर रख दिया है, तो ऐसे में उनकी नाराजगी जायज है. ये कदम भाजपा के लिए कई मायनों में आत्मघाती साबित हो सकता है.